SEBI ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए चना वायदा पर रोक लगा दी है। चौंकाने वाला इसलिए कह रहे हैं क्योंकि चना के वायदा पर रोक लगाने के लिए फिलहाल कोई भी वजह नहीं दिख रही है। ना तो इसमें सट्टेबाजी के कारण बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं और ना ही सप्लाई या कीमतों को लेकर चिंता दिख रही है। ऐसे में SEBI के इस फैसले की क्या वजह है। आखिरी चना वायदा पर रोक क्यों लगाई गई है। आज इसे पर कमोडिटी मार्केट में चर्चा करेगे।
चना वायदा पर रोक
SEBI ने चना के नए कॉन्ट्रैक्ट लॉन्च करने पर रोक लगाई है। सेबी ने मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट में नई पोजिशन पर रोक लगाई है। मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट में सिर्फ Squaring Up की अनुमति दी है और SEBI का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
चना वायदा पर रोक क्यों?
दरअसल सेबी द्वारा चना वायदा पर रोक लगाने की वजह चौकानें वाली है क्योंकि चना में ना बड़ी तेजी देखने को मिल रही है और ना मंदी आई है। इस साल चना में महज 14 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। कई कमोडिटीज में चना के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी आई है। अगर इस साल सोयाबीन के भाव पर नजर डालें तो इसके भाव दोगुने हुए है जबकि इस साल ग्वार में 36% तो कॉटन में 29% की बढ़त देखने को मिली है। सरकारी अनुमान के मुताबिक सप्लाई पर्याप्त है। इस साल चना का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। सरकारी आकंड़ो के मताबिक इस साल 1.19 करोड़ टन उत्पादन हुआ है। चने के भाव अभी भी MSP के नीचे बने हुए हैं। बाकी दालों के भाव भी नियंत्रण में है।
चने के उत्पादन पर नजर डालें तो 2016-17 में चना का उत्पादन 93.8 लाख टन रहा था जबकि 2017-18 में 113.8 लाख टन, 2018-19 में 99.4 लाख टन , 2019-20 में 110.8 लाख टन और 2020-21 में चने का उत्पादन 119.9 लाख टन रहा है।
वहीं एनसीडीईएक्स पर चने की रिटर्न की बात करें तो 1 हफ्ते में चने ने 4 फीसदी, 1 महीने में 5 फीसदी और 1 साल में 17 फीसदी का रिटर्न दिया है।