मस्जिद कमेटी ने सुबह की नामाज के समय भी आवाज को और कम रखने का फैसला किया है. कमेटी के लोगों का कहना है कि सीएम योगी के निर्देशों के तहत इंतजार किए बिना ही उन्होंने खुद ही लाउडस्पीकर और आवाज दोनों कम कर दिए हैं.
प्रयागराज. यूपी में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों का शोर कम किए जाने को लेकर जारी सीएम योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए संगम नगरी प्रयागराज की जामा मस्जिद ने अनूठी पहल की है. इसके तहत मस्जिद में लगे 6 लाउडस्पीकरों में से 4 को हटा दिया गया है, जबकि बाकी बचे दो का वॉल्यूम भी काफी कम कर दिया गया है. इतना ही नहीं बचे हुए दोनों लाउडस्पीकरों के हार्न की दिशा भी बदल दी गई है. जामा मस्जिद में लगे स्पीकरों की आवाज इतनी कम कर दी गई है कि अजान की आवाज अब दूर तक नहीं जाती.
और कम होगी आवाज
मस्जिद कमेटी ने फज्र यानी सुबह की नमाज के वक्त आवाज को और भी कम रखने का फैसला किया है. मस्जिद कमेटी से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि सीएम योगी के निर्देशों के तहत सरकारी अमले की कार्यवाही का इंतजार किए बिना ही उन्होंने खुद ही लाउडस्पीकर और आवाज दोनों ही कम कर दिए हैं. कमेटी से जुड़े लोगों के मुताबिक लोगों को कोई दिक्कत ना हो, इस वजह से यह फैसला लिया गया है. आगे भी जो दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे, उन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा. वहीं एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह के मुताबिक लाउडस्पीकर को लेकर शासन के निर्देश पर सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई थी. उन्हें अनुमति के तहत ही लाउडस्पीकर लगाने और वाल्यूम रखने के निर्देश दिए गए थे. इसी क्रम में मंदिरों और मस्जिदों पर लोग खुद से अवैध रुप से लगे लाउडस्पीकर की संख्या कम कर रहे हैं और आवाज भी कम कर रहे. एसपी सिटी का कहना है कि लोगों को चेतावनी दी जा रही कि लोग अवैध रूप से लगे लाउडस्पीकर हटा लें.
झांसी में भी हटे लाउडस्पीकर
वहीं झांसी में भी सीएम योगी आदित्यनाथ की अपील पर राम जानकी मंदिर के पुजारी और जामा मस्जिद के इमाम ने आपसी रजामंदी से लाउडस्पीकर हटा दिया. मंदिर के पुजारी शांति मोहन दास और मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद ताज आलम ने बताया कि उन्होंने संयुक्त रूप से दशकों से लगे लाउडस्पीकर हटाने का फैसला किया, ताकि समाज में सांप्रदायिक सौहार्द का एक संदेश भेजा जा सके.
झांसी के बड़ागांव कस्बे के गांधी चौक पर राम जानकी मंदिर और जामा मस्जिद आस-पास ही स्थित हैं. मंदिर में सुबह के वक्त लाउडस्पीकर से आरती की जाती थी, जबकि मस्जिद में पांचों वक्त की अजान की परंपरा दशकों से चली आ रही थी. शांति मोहन दास ने कहा कि प्रेम और भाईचारे का संदेश देने के लिए यह फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि अब बिना लाउडस्पीकर के सुबह शाम आरती हो रही है. साथ ही भजन का कार्यक्रम भी शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा है.