आम्रपाली बिल्डर (Amrapali Builder) ग्रुप के प्रॉजेक्ट में फ्लैट और अन्य प्रॉपर्टी में बेनामी निवेश (Benami Booking) करने वाले 5 हजार से ज्यादा लोग आयकर विभाग (Income Tax Department) के रडार पर हैं। इन फ्लैट बायर्स ने अभी तक अपने निवेश पर क्लेम नहीं किया है। बाकी एडवांस निवेश और अन्य संपत्तियों के निवेशक शामिल हैं। लाखों रुपये जमा करने वाले ये बायर्स-निवेशक अब तक सामने नहीं आए हैं। अब ऐसे लोग आयकर विभाग के हत्थे चढ़ेंगे।
बढ़ेगी मुश्किल
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आम्रवाली स्कीम में मकान के बहुत से खरीदार अभी तक अपना निवेश साबित करने के लिए आगे नहीं आए हैं। अभी भी इनके सामने आने की उम्मीद है। यही नहीं, ऐसे बायर्स आयकर विभाग के जांच के दायरे में भी आ गए हैं। इनकी संख्या करीब 5 हजार के आसपास है। सूत्रों की माने तो आयकर विभाग ने इनमें से दो हजार से ज्यादा बायर्स का कच्चा रेकॉर्ड जुटा लिया है। अब आगे उस रेकॉर्ड को विस्तार देने के लिए जांच बढ़ाई जा रही है। यह जांच आगे बढ़ी तो कई नेताओं व अधिकारियों के साथ कुछ और बिल्डर ग्रुप की मुश्किलें बढ़ना तय है।
कुछ निवेशक का कच्चा चिट्ठा बरामद
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प्रकरण संवेदनशील होने के कारण आयकर विभाग से कोई भी अधिकारी इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं है। यहां तक कि ऐसी किसी जांच की पुष्टि भी आधिकारिक तौर पर अभी नहीं हो रही है। ऐसे में यह भी मुमकिन है कि आयकर विभाग की टीम नोएडा की न होकर दूसरे जगह की हो। सूत्रों की माने तो केंद्र की एक जांच एजेंसी जिसने मई में आम्रपाली ग्रुप के कुछ ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें निवेशकों का कच्चा चिट्ठा बरामद हुआ है। इनमें फ्लैट बायर्स भी शामिल हैं। डेटा में हजारों की संख्या ऐसे निवेशकों की है जिनके नाम ही स्पष्ट नहीं है। कुछ के नाम तो ए, बी, सी में हैं, जिनसे मोटा निवेश आया है। इसी तरह कुछ नाम ऐसे हैं जिनका पता तक दर्ज नहीं है। इनके नाम पर रिजर्व किए गए फ्लैट का भी डेटा सामने आ गया है। छापेमारी करने वाली एजेंसी की तरफ से यह कच्चा चिट्ठा आयकर चोरी के संदेह में आयकर विभाग के साथ शेयर किए जाने की सूचना है। आगे आयकर विभाग इस चिट्ठे की कड़ी जोड़ रहा है। इस कागजात में बिहार, झारखंड तक के तार जुड़े हुए हैं।
बड़े पैमाने पर कैश में किया गया था निवेश
सूत्रों की माने तो जांच में सामने आया है कि जो बायर्स अपने निवेश पर क्लेम करने से पीछे हटे हैं उन्होंने फ्लैट या अन्य संप्त्ति की बुकिंग से लेकर आगे का निवेश का बड़ा हिस्सा कैश में दिया था। इसमें कुछ एक बायर्स ऐसे भी हैं जिन्होंने एक ही प्रॉजेक्ट में 4-5 फ्लैट तक उस समय लिए थे। खास बात यह भी है कि कच्चे चिट्ठे में कुछ के आगे भुगतान अग्रिम भी लिखा हुआ पाया गया है। मतलब यह कि ये एसे निवेशक थे जो आने वाले प्रॉजेक्ट में निवेश के लिए तैयार थे। या फिर कमर्शल प्रॉपर्टी के लिए निवेश किया हुआ था। इसी तरह कुछ दूसरे बिल्डर ग्रुप के नाम से भी निवेश की बात सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो यह निवेश उन बिल्डर समूह से डॉयवर्ट करवाया गया था, लेकिन ऐसा क्यों हुआ ये अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
एक से दो रुपये में फ्लैट बुकिंग का भी रेकार्ड
सूत्रों की माने तो जांच एजेंसियों के हाथ कुछ ऐसा रेकार्ड भी मिला है जिसमें कुछ फ्लैट एक या दो रुपये में बेचे जाने की बात है। मतलब यह कि फ्लैट दे दिया गया और उसके एवज में महज एक या दो रुपया अकाउंट में जमा हुआ है। यह रेकार्ड भी अहम है। इसी तरह कुछ ऐसे निवेशक भी थे जो दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद अपना फ्लैट कम दामों पर दूसरे के हाथ बेचकर चले गए। ऐसी खरीद-फरोख्त जो दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद क्लेम करने के दौरान हुई वह भी जांच के दायरे में हैं। इसका रेकार्ड तैयार करने में यह भी देखा जाएगा कि बेचने वाले ने कितनी रकम अपने अकाउंट में ली। ऐसा तो नहीं कि डमी नाम से बिक्री दिखा दी गई।