Floating & Fixed Rate Home Loan: होम लोन के लिए हर व्यक्ति के पास फ्लोटिंग और फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का चयन करने का विकल्प होता है. फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट होम लोन में कर्ज लेने से पहले उस पर लगने वाली ब्याज की दर निश्चित कर दी जाती है और इंटरेस्ट रेट में होने वाले बदलाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता है. वहीं फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट लोन पर रेपो रेट में होने वाले बदलाव के कारण ब्याज की दरों पर असर पड़ता है.
ये भी पढ़ें– Stock Market Closing : बाजार की रफ्तार पर लगी ब्रेक, सेंसेक्स 224 अंक टूटा, निफ्टी 18,000 के करीब बंद
नई दिल्ली: अगर आप होम लोन लेना चाह रहे हैं लेकिन फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट को लेकर कंफ्यूज हैं. आप सोच रहे हैं कि लोन चुकाने के लिए ब्याज को लेकर किस तरह का विकल्प चुनना चाहिए. चूंकि होम लोन लंबी अवधि के लिए लिया जाता है और इस पर लगने वाला इंटरेस्ट लंबे वक्त तक देना होता है इसलिए फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट का चुनाव सावधानी से करना चाहिए.
आइये सबसे पहले जानते हैं कि फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट और फ्लोटिंग रेट में क्या अंतर है और यह कैसे आपकी होम लोन की ईएमआई को प्रभावित करता है…
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट होम लोन में कर्ज लेने से पहले उस पर लगने वाली ब्याज की दर निश्चित कर दी जाती है और इंटरेस्ट रेट में होने वाले बदलाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता है. इससे आपको पता चल जाता है कि आपकी होम लोन की ईएमआई कितनी आएगी और पूरी अवधि में आपको कुल कितना पैसा चुकाना होगा.
फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट
फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट पर होने वाले नफा-नुकसान
- याद रखें फिक्स्ड रेट होम लोन पर ब्याज की दर फ्लोटिंग रेट की तुलना में ज्यादा होती है. इसलिए कर्ज लेने से पहले इस अंतर को अच्छी तरह से जान लें.
- फ्लोटिंग रेट में होम लोन पर ब्याज की दरें घटती और बढ़ती रहती हैं जिसका लाभ समय-समय पर ग्राहकों को मिलता है. वहीं फिक्स्ड रेट पर लोन लेने के बाद अगर ब्याज दरें घटती हैं तो इसका फायदा नहीं मिलता है.
- फ्लोटिंग रेट पर प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं लगती है. मान लीजिये अगर लोन लेने के बाद आपके पास कहीं से एकमुश्त पैसा आ जाता है और आप कर्ज चुकाना चाहते हैं तो लौटा सकते हैं इससे लोन समय से पहले पूरा हो जाता है और आपको ब्याज से राहत मिलती है लेकिन अगर फिक्सड इंटरेस्ट रेट लोन में प्री-पेमेंट करने पर आपको जुर्माना भरना होगा.
- आइये इस बात को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं मान लीजिये, आपने किसी बैंक से 27,55,000 का होम लोन 20 वर्ष की अवधि के लिए फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट 9 फीसदी वार्षिक की दर लिया है. इस कर्ज पर आपकी ईएमआई हर महीने 24,800 के लगभग आएगी और लोन की पूरी अवधि में आपको इंटरेस्ट 32,02,670 और प्रिंसिपल अमाउंट 27,55,00 समेत कुल 59,57,820 रुपये चुकाने होंगे.
- वहीं अगर यह लोन आप फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लेते हैं तो ब्याज की रकम कम और ज्यादा हो सकती है. साथ ही आपकी ईएमआई की राशि समय-समय पर बदलती रहेगी.
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन कब लें?
टैक्स एंड इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन के अनुसार, हर व्यक्ति के पास होम लोन के लिए फिक्स्ड और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का विकल्प होता है. लेकिन इसका इस्तेमाल अगर तरीके से किया जाए तो दोनों के अपने-अपने फायदे हैं. आमतौर पर अब बैंक और अन्य हाउसिंग फायनेंस कंपनी फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन कम ही ऑफर करती हैं.
मान लीजिये अगर आपको लगता है कि ब्याज दरों में काफी गिरावट हो चुकी है और भविष्य में इनके बढ़ने की संभावना है तो आप इंटरेस्ट में होने वाली बढ़ोतरी से बचने के लिए फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन का विकल्प चुन सकते हैं. वहीं यदि ब्याज दरों में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी हो और लगने लगे कि अब इंटरेस्ट रेट कम हो सकते हैं तो ऐसी आदर्श स्थिति में आपको फ्लोटिंग रेट पर होम लेना चाहिए. ताकि समय के साथ-साथ गिरती हुई ब्याज दरों का आप लाभ उठा सकें.
इसके अलावा अगर आपने फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर होम लोन लिया है और भविष्य में आपको लगता है कि ब्याज दरों में कटौती की संभावना है तो आप फिक्स्ड से फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर स्विच कर सकते हैं यानी विकल्प बदल सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको मौजूदा प्रिंसिपल अमाउंट पर करीब 1 फीसदी ब्याज देना होता है.
ये भी पढ़ें– Lakshmi to Lakme: देश के पहले कॉस्मेटिक ब्रांड की क्या है कहानी? पंडित नेहरू के आइडिया ने कैसे किया कमाल?
हालांकि ज्यादातर मार्केट एक्सपर्ट मानते हैं कि फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट की तुलना में फ्लोटिंग रेट पर लोन लेना ज्यादा बेहतर होता है. क्योंकि इसमें समय के साथ ब्याज दरों में होने वाली कटौतियों का लाभ मिलता है. वहीं फ्लोटिंग इंटरेस्ट लोन के मुकाबले फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट लोन में फीस की दर ज्यादा होती है, साथ ही इससे जुड़ी शर्तों में ज्यादा लचीलापन नहीं होता है.