नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक आगामी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में लगातार आठवीं बार नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति को कायम रख सकता है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। उनके मुताबिक विदेशी बाजारों में कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी के बीच महंगाई दर पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से आरबीआइ यह फैसला ले सकता है। आठ अक्टूबर को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होनी है। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार मई, 2020 में रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। उस समय देश की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित थी। उसके बाद से आरबीआइ ने ब्याज दरों को यथावत रखा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक छह अक्टूबर से शुरू होनी है। बैठक के नतीजों की घोषणा आठ अक्टूबर को की जाएगी। मार्गन स्टेनली की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को ना केवल यथावत रखेगा बल्कि अपने नरम रुख को भी जारी रखेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के आसपास रहेगी। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने हाल में कहा था कि ऐसा लगता है कि ब्याज दरें यथावत रहेंगी। उन्होंने कहा था कि वृद्धि में कुछ सुधार है। ऐसे में मुझे लगता है कि ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी। हालांकि यह माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक की टिप्पणी में मुद्रास्फीति का उल्लेख होगा।
आवास बाजार को मिलेगी रफ्तार
भारत में कोलियर्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमेश नायर ने कहा कि आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इससे आवास बाजार को रफ्तार मिलेगी। घरों की कीमतों में स्थिरता, कुछ राज्यों में स्टांप शुल्क में भारी कटौती और अपना घर खरीदने की इच्छा की वजह से 2020 की चौथी तिमाही से मांग में सुधार हुआ है।
रिजर्व बैंक पर अपने रुख में बदलाव का दबाव
डेलायट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि रिजर्व बैंक पर अपने रुख में बदलाव का दबाव है। इसकी वजह यह है कि कुछ औद्योगिक देशों में मुद्रास्फीति बढ़ रही है और कमोडिटी के दामों में इजाफा हो रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक संभवत: नीतिगत दरों को यथावत रखने का निर्णय ले सकता है। ईवाई इकोनामी वाच के सितंबर संस्करण में डीके श्रीवास्तव ने लिखा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दबाव में है। ऐसे में निकट भविष्य में केंद्रीय बैंक रेपो दरों को घटा सकता है। केंद्रीय बैंक यदि शुक्रवार को भी ब्याज दरों को यथावत रखता है, तो यह लगातार आठवां अवसर होगा जबकि ब्याज दरों में बदलाव नहीं होगा।