ITR Filing- नौकरी के अलावा अतिरिक्त आय के लिए आपने किसी दूसरी कंपनी या वेंडर का कोई काम किया है, तो उसे मूनलाइटिंग कहते हैं. इस कमाई पर भी टैक्स देना होता है और आईटीआर में इसका जिक्र करना जरूरी है.
नई दिल्ली. इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में सभी स्रोतों से होने वाली आय की जानकारी देना बहुत जरूरी है. अगर आपने भी अपनी नौकरी के साथ ही मूनलाइटिंग (Moonlighting) करके पैसा कमाया है, तो आपको उसकी भी जानकारी जरूर देनी चाहिए. अगर आप मूनलाइटिंग से हुई आय को छिपाते हैं, तो आपको आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है.
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नौकरी के अलावा अतिरिक्त आय के लिए आपने किसी दूसरी कंपनी या वेंडर का कोई काम किया है, तो उसे मूनलाइटिंग कहते हैं. मान लीजिए कि आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं. आपकी ड्यूटी 8 घंटे की है. इसके बाद आप घर आकर फ्रीलांस के तौर पर किसी दूसरी कंपनी या वेंडर के लिए काम करते हैं. इसी काम को मूनलाइटिंग कहते हैं और इससे होने वाली कमाई को मूनलाइटिंग से इनकम माना जाता है.
देना होगा टैक्स
मूनलाइटिंग ने कोरोना काल में बहुत जोर पकड़ा था. टेक कंपनियों के कर्मचारियों ने मूनलाइटिंग ज्यादा की. आयकर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है, लेकिन इसका कतई ये मतलब नहीं है कि इस कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. एक्स्ट्रा इनकम पर टैक्स इस पर निर्भर करता है कि कमाई किस तरह की है. मतलब ये सैलरी इनकम है, प्रोफेशनल फीस है या बिजनेस इनकम है. यही फॉर्मूला यहां भी लागू होगा.
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अगर मूनलाइटिंग से कमाई सैलरी के रूप में मिलती है तो रिटर्न में इसे मेन कंपनी की सैलरी के साथ ‘सैलरी’ हेड में दिखाना होगा. डिडक्शन और एग्जम्प्शन के बाद बनी कमाई जिस टैक्स स्लैब में आएगी, उस रेट से टैक्स देना होगा. अगर कमाई फ्रीलांस वर्क या प्रोफेशनल फीस के रूप में होती है तो यह बिजनेस और प्रोफेशन से आय के दायरे में आएगी. इस पर बिजनेस और व्यवसाय से हुई कमाई की तरह टैक्स लगेगा.
कौन सा फॉर्म भरना होगा
मूनलाइटिंग से कमाई अगर सैलरी के तौर पर मिल रही है तो इसे ITR-1 में दिखाना होगा. अगर कुल इनकम 50 लाख रुपए से ज्यादा है, किसी तरह का कैपिटल गेन है तो ITR-2 फॉर्म लगेगा. इसी तरह, बिजनेस या प्रोफेशनल फीस से अतिरिक्त कमाई हुई है और प्रिजम्पटिव टैक्स स्कीम (PTS) चुनते हैं तो ITR-4 भरना होगा. प्रोफेशनल फीस के रूप में मिली कुल रकम 50 लाख से ज्यादा होने पर ITR-3 में इस कमाई को दिखा सकते हैं.
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आयकर विभाग के पास होती है जानकारी
फॉर्म 26AS में विस्तार से वार्षिक सूचना विवरण (Annual Information Statement) और करदाता सूचना सारांश (Taxpayer Information Summary) होती है. इसमें क्लीयर होता है कि किसी को कितना पैसा मिला है और कितने पर टैक्स काटा गया है. यदि ऐसी किसी आय को छिपाया जाता है या रिटर्न में जानकारी नहीं दी जाती है तो आईटी अधिकारियों के पास मौजूद आंकड़ों में यह मिस-मैच हो जाएगा. इसलिए, बेहतरी इसी में है कि यदि आप किसी भी बाहरी स्रोत से आय प्राप्त कर रहे हैं तो अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी जानकारी जरूर दें.
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