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भूखा मरेगा पाकिस्तानी क्रिकेट, चैंपियंस ट्रॉफी में भारत से हारते ही कटोरा थामने की नौबत

Champions Trophy 2025: न्यूजीलैंड की जीत का मतलब है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों ही टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं. पाकिस्तान 28 साल बाद अपनी सरजमीं पर किसी टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा था.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान क्रिकेट एक बार फिर मुश्किल में है और इस बार चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर होती ही टीम के लिए स्पॉन्सर तलाशना भी असंभव नजर आ रहा है. कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारत ने रविवार को दुबई में पाकिस्तान को छह विकेट से रौंदा था फिर न्यूजीलैंड ने बांग्लादेश को हराकर खुद तो सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई किया ही भारत भी टॉप-4 में पहुंच गया. इसी के साथ ग्रुप ए से पाकिस्तान और बांग्लादेश बाहर हो गए.

टूर्नामेंट से बाहर हुआ पाकिस्तान
भारत से हारने से एक दिन पहले ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड मैच के लिए गद्दाफी स्टेडियम में लोगों की शानदार भीड़ को देखकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी आत्मविश्वास से भरे हुए थे. बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, ‘लोगों की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान से इतर मैच का आनंद लेते देखना एक उत्साहवर्धक अनुभव था.’

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लोग स्टेडियम आएंगे या नहीं
1996 के विश्व कप के बाद पाकिस्तान पहली बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा था. फैंस को उम्मीद थी कि आठ टीमों की इस प्रतियोगिता में घरेलू टीम टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी. अब पीसीबी के सामने एक समस्या ये भी है कि पाकिस्तान में बचे हुए मैच में दर्शकों की भीड़ स्टेडियम पहुंचती है या नहीं.

ब्रांड वैल्यू पर पड़ेगा असर
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के वाणिज्यिक इकाई के एक विश्वसनीय सूत्र ने कहा कि अगर पाकिस्तान सेमीफाइनल में नहीं भी खेलता है तो भी पीसीबी को वित्तीय रूप से कोई बड़ा झटका नहीं लगेगा क्योंकि केवल गेट पर्ची और मैदान की आय के अन्य स्रोत ही प्रभावित होंगे, लेकिन संकटग्रस्त टीम की ‘ब्रांड वैल्यू’ पर असर पड़ने वाला है.

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भारत ने मारी पेट पर लात
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी ने कहा,’हमें मेजबानी शुल्क, टिकट बिक्री सहित आईसीसी राजस्व में हमारा हिस्सा मिलने की गारंटी है, लेकिन अन्य मुद्दे भी हैं जैसे कि लोगों का इस बड़े टूर्नामेंट में रुचि खत्म होना और प्रसारणकर्ता द्वारा आधे भरे हुए स्टेडियम दिखाना आदि. और सबसे बड़ी चिंता यह है कि यहां क्रिकेट के प्रति दीवानगी के बावजूद भविष्य में पाकिस्तान क्रिकेट को एक ब्रांड के रूप में बेचना आसान नहीं होगा.

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