प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 अप्रैल को विश्व के सबसे ऊंचे चिनाब आर्च ब्रिज का लोकार्पण करेंगे, जिससे कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन यात्रा का सपना साकार होगा।
बस एक सप्ताह और कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन से सफर का मुद्दतों का सपना साकार होगा। अनुपम… मनोरम… तो अद्वितीय भी। पटरियों पर सिर्फ वंदेभारत ही नहीं दौड़ेगी, कई अध्याय भी जुड़ेंगे। विश्व के सबसे ऊंचे आर्च पुल व 36 टनल से जब ये ट्रेन गुजरेगी तो सचमुच एक नया एहसास होगा। ऐसा एहसास जो पहले कभी महसूस नहीं किया गया।
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इसका पहला एहसास रेलवे ने शुक्रवार को पत्रकारों को कराया। रियासी में चिनाब नदी के पास पहुंचते-पहुंचते मौसम का मिजाज काफी बदल गया। जम्मू जैसी गर्मी यहां नहीं थी। सब कुछ कूल-कूल। माता वैष्णो देवी धाम के पहाड़ों के अनुपम नजारों, टनल और जिगजैग रास्तों से होते हुए हम चिनाब तक पहुंचे थे।
सुरक्षा जांच के बाद हमें उस पुल तक ले जाया गया जो 18 सालों की मेहनत से तैयार हुआ है। चिनाब ब्रिज पर पहुंचे तो जैसे हम आसमान में हों। 359 मीटर ऊंचे पुल पर खड़ा होना एक अलग एहसास दे रहा था। एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा ऊंचाई तो दिल्ली की कुतुब मीनार से लगभग तीन गुना ऊंचाई पर थे हम। इसकी डिजाइन और विशालता को हम निहारते ही रह गए। पुल के ऊपर हवा कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी।
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पुल को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि 220 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली हवा से भी इसका कुछ नहीं होगा। हमें बताया गया कि इस पुल को बनाने में करीब छह लाख बोल्ट लगे हैं….117 स्पैन लगाए गए हैं। 1486 करोड़ से बने इस पुल से 100 किलोमीटर की गति से ट्रेन दौड़ सकती है। वहीं, पीएम के आगमन को लेकर कौड़ी में चिनाव पुल के पास हेलीपैड बनाया गया है। पुल के दोनों छोर-बक्कल और कौड़ी की तरफ कड़ी सुरक्षा के बंदोबस्त हैं।
सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त, जवान तैनात
19 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चिनाब पुल को देश को समर्पित करेंगे। इसी पुल से वंदेभारत ट्रेन श्रीनगर तक जाएगी। चिनाब पुल तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में है। जीआरपी, आरपीएफ के साथ ही नाइट विजन तकनीकी से लैस सीसीटीवी कैमरों की चप्पे-चप्पे पर नजर है। जीआरपी के जवानों की नियमित गश्त हो रही है। पीएम को दौरे को देखते हुए 20 से अधिक सुरक्षा एजेंसियों की पुल सहित कटड़ा से श्रीनगर तक निगरानी है।
चिनाब पुल के आर्च में डाला गया कंक्रीट : हिमांशु शेखर उपाध्याय
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक 272 किमी लंबी है। हिमालय की भौगोलिक चुनौती के बीच इस रेल लिंक में रेल ट्रेक बिछाना बड़ी चुनौती थी। कुल लंबाई में 119 किलोमीटर की लंबाई के 36 टन और छाटे- बड़े एक हजार के करीब पुल है। इस पुरी सेक्शन में सुरक्षा को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। चिनाब पुल के आर्च में कंक्रीट डाला गया है, यह तकनीक देश में पहली बार इस्तेमाल की है जिससे पुल को मजबूती मिलेगी।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कब कटड़ा-बनिहाल तक ट्रेन का हरी झंडी दिखाकर रवाना करेगी, इसकी रेलवे के पास अभी तक अधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन हमें अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रहा है। उन्होंने कहा कि रियासी जिले के चिनाब नदी पर बना चिनाब पुल नया भारत की इच्छाशक्ति का परिणाम है।
यह भारतवासियों के लिए गर्व की बात की है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च पुल है। इसको बनाने में 30 हजार मीट्रिक टन स्टील का उपयोग हुआ है। 70 हजार क्यूबिक मीटर से ज्यादा कंक्रीट का उपयोग किया है। यह पुल 250 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को झेलने में समक्ष है। इतना बड़े आर्च पुल बनाने की कोई भी देश हिम्मत नहीं करता है, लेकिन हमारे इंजीनियर ने इस सच किया।
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उन्होंने कहा कि 1994-95 में इस पुल के निर्माण को स्वीकृति मिली थी। उन्होंने कहा कि अभी तक श्रीनगर तक चलने वाली विशेष वंदे भारत की दो रैक हमें मिली हैं जिनका परिचालन कटड़ा-बनिहाल तक चलाया जाएगा। टनल की सुरक्षा को विशेष ध्यान दिया गया है। सीसीटीवी से निगरानी को पुख्ता किया है। टनल के साथ एस्केप टनल बनाए है। टनल में गैस न बने इसके लिए एक्जास्ट फैन लगाए है। कंट्रोल रूम बनाए हैं।
