2018 में कासगंज में डाका डालने के दौरान एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या व दादों के आश्रम पर दो हत्याओं व लूट के बाद यह गैंग सुर्खियों में आया था। तभी दादों के सांकरा और टप्पल के घरबरा खादर में हुईं दो मुठभेड़ों में सरगना सहित गैंग के चार साथियों को अलग-अलग मारा गया था।
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8 मार्च की रात को मथुरा पुलिस की मुठभेड़ में एक लाख के इनामी छैमार सरगना असद उर्फ फाती के मारे जाने के बाद छैमार गैंग फिर सुर्खियों में है। सात वर्ष पहले अलीगढ़ पुलिस ने भी इस गिरोह के पश्चिमी यूपी के सरगना भीका सहित चार छैमार को मार गिराया था। उस समय भी असद का नाम मुठभेड़ में भागने में आया था। हालांकि, पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर पाई थी।
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2018 में कासगंज में डाका डालने के दौरान एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या व दादों के आश्रम पर दो हत्याओं व लूट के बाद यह गैंग सुर्खियों में आया था। तभी दादों के सांकरा और टप्पल के घरबरा खादर में हुईं दो मुठभेड़ों में सरगना सहित गैंग के चार साथियों को अलग-अलग मारा गया था। इनके मारे जाने के बाद इस गिरोह ने यहां से मुजफ्फरनगर में अपना नया ठिकाना बनाया था। बाद में अलीगढ़ की घटना में फरार एक सदस्य को वहां से दबोचकर दादों पुलिस ने जेल भेजा था। इसके बाद से छैमार गैंग की अपने जिले में या आसपास सक्रियता नहीं दिखी। अलीगढ़ में दो मुठभेड़ों के बाद एक मुठभेड़ मई माह में एसटीएफ ने टप्पल में की। जिसमें असद उर्फ फाती भाग गया था।
अलीगढ़ में बतौर एसएसपी तैनाती के दौरान हमने छैमार गैंग पर काम किया था। सरगना भीका समेत चार बदमाशों को मार गिराया था। कई बदमाश उस दौरान भाग गए थे। बाद में पूरा गैंग भूमिगत हो गया था। – अजय साहनी (डीआईजी रेंज सहारनपुर)
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छह को मारकर बनता था छैमार
जरायम पेशे में कहावत है कि बावरिया की तर्ज पर काम करने वाले ये घुमंतू भी बावरिया जाति से ही आते हैं। इनके यहां अपराध करने वाले नए सदस्य को पहले छह लोगों की हत्या करनी पड़ती है। तभी उसकी शादी होती है। तभी वह छैमार गैंग में शामिल होता है। हालांकि, लंबे समय से छैमार गैंग यहां सक्रिय नहीं है। पुलिस की जांच में भी इसका खुलासा हुआ था।
ये मारे गए थे छैमार
20 मई 2018 को एहसान उर्फ जीशान (संभल), सोहेल उर्फ वसीम (शामली), आदिल उर्फ अब्दुल रहमान (शामली) को दादों क्षेत्र में मार गिराया था। वहीं 22 मई 2018 को इनके सरगना पचास हजार के इनामी भीका उर्फ अब्दुल करीम उर्फ मियां उर्फ बाकिल (संभल) को टप्पल के घरबरा में मार गिराया था।
दादों में गंगा किनारे बनी कटरी में छुपते थे छैमार
कासगंज के सहावर में डाके में तीन की हत्या व दादों के आश्रम पर हत्या के बाद अपने जिले में छैमार गिरोह की सक्रियता उजागर हुई। जब पुलिस पीछे लगी तो दादों में गंगा किनारे हरदोई के आसपास इनके डेरे मिले थे। जहां से ये अपराध के लिए जाते थे। मगर सांकरा में हुई मुठभेड़ के बाद डेरे रातों रात गायब हो गए थे।
कासगंज व दादों में वारदात के बाद तत्कालीन एसएसपी अजय सहानी ने इस गिरोह पर टीम को लगाया तो गंगा किनारे इनके डेरे पाए गए। पुलिस ने काम करते हुए एक रात में तीन को व दो रात बाद उनके सरगना को मार गिराया था। उसी समय ये साफ हुआ था कि प्रदेश में इस गिरोह के 300 सदस्य सक्रिय हैं, जो अलग अलग जिलों में नाम व पहचान बदलकर घुमंतू रहते हैं। झुग्गियों में उनका ठिकाना रहता है। हालांकि उस समय इस गिरोह पर तगड़ी कार्रवाई के बाद अलीगढ़ या आसपास के जिलों में इनकी सक्रियता नहीं मिली।
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यह भी उजागर हुआ था कि ये गिरोह पश्चिमी यूपी के अलावा उत्तराखंड, दिल्ली एनसीआर के साथ संभल, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, मथुरा, बदायूं, कासगंज, एटा, मेरठ, बागपत, मुरादाबाद आदि जिलों में पाई गई थी। ये सभी गंगा किनारे ही बसा करते थे। अपराध कर वहीं छिपा करते थे। उसके बाद इस गिरोह की सक्रियता थम गई थी। मगर अब मथुरा में मारे जाने के बाद इस गिरोह के फिर से पश्चिमी यूपी में सिर उठाने का अंदेशा है। अंदेशा है कि कहीं भूमिगत हुए वही सदस्य सक्रिय तो नहीं हो गए।
