ट्रंप की क्रिप्टो-फ्रेंडली नीतियों के बाद भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर अपने सख्त रुख पर पुनर्विचार कर रही है. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि भारत का रुख एकतरफा नहीं हो सकता.
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नई दिल्ली. भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर अपने सख्त रुख पर पुनर्विचार कर रही है. यह कदम वैश्विक दृष्टिकोण में आए बदलावों और हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित क्रिप्टो-फ्रेंडली नीतियों के बाद उठाया जा रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर की रिपोर्ट के अनुसार, 2 फरवरी को आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि भारत का रुख एकतरफा नहीं हो सकता क्योंकि क्रिप्टो संपत्तियां “सीमाओं में विश्वास नहीं करतीं.”
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अजय सेठ ने कहा, “कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग, उसकी स्वीकृति और क्रिप्टो संपत्तियों के महत्व को लेकर अपना रुख बदला है. इसी के तहत हम भी अपनी चर्चा पत्रिका पर दोबारा विचार कर रहे हैं.” कड़े नियमों और उच्च कर दरों के बावजूद भारत लगातार दूसरे साल क्रिप्टोकरेंसी के वैश्विक अपनाने में अग्रणी रहा है. जून 2023 से जुलाई 2024 के बीच भारत केंद्रीकृत एक्सचेंज और विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) संपत्तियों के उपयोग में शीर्ष स्थान पर रहा.
डिक्शन पेपर जारी होने में हो सकती है देरी
सितंबर 2023 में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर नियामकीय रुख स्पष्ट करने के लिए एक डिस्क्शन पेपर जारी करने की बात कही थी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बाजार नियामक SEBI सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद इसे जारी किया जाना था. लेकिन अब क्रिप्टो नियमों पर पुनर्विचार के चलते इस डिस्क्शन पेपर के जारी होने में देरी हो सकती है.
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2018 में लगाया था बैन
भारत की क्रिप्टोकरेंसी के साथ नियामकीय यात्रा अब तक काफी जटिल रही है. 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टो लेन-देन पर बैन लगा दिया था. हालांकि, मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया, जिससे देश में क्रिप्टो ट्रेडिंग फिर से शुरू हो गई. दिसंबर 2023 में, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) ने स्थानीय नियमों का पालन न करने के लिए नौ विदेशी क्रिप्टो प्लेटफार्मों को नोटिस जारी किए थे. इसके अलावा, जून 2024 में दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज बायनेंस पर मनी लॉन्ड्रिंग रोधी नियमों के उल्लंघन के लिए 18.82 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.
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डिजिटल रुपये की दिशा में RBI का कदम
RBI देश में क्रिप्टो गतिविधियों की निगरानी के साथ-साथ सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) यानी डिजिटल रुपये के विकास पर भी काम कर रहा है. 2022 के अंत में थोक और खुदरा दोनों क्षेत्रों के लिए पायलट परियोजनाएं शुरू की गई थीं, जिनका उद्देश्य वित्तीय प्रणाली को आधुनिक बनाना और एक सुरक्षित डिजिटल मुद्रा विकल्प प्रदान करना है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी संस्थाओं के लिए अनुपालन की सख्ती बढ़ा दी है. उन्होंने आयकर अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत क्रिप्टो एक्सचेंजों को लेन-देन का विवरण साझा करना अनिवार्य होगा. साथ ही, “वर्चुअल डिजिटल एसेट” (VDA) शब्द को अघोषित आय की परिभाषा में शामिल करने का भी प्रस्ताव दिया गया है. इस कदम से क्रिप्टो निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए नई चुनौतियां और संभावनाएं दोनों ही पैदा हो सकती हैं.