जागरण संवाददाता, वाराणसी। वाराणसी में अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी शिक्षिका शम्पा रक्षित के साथ हुई। उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके ठगों ने उनके बैंक खातों में मौजूद तीन करोड़ 55 लाख रुपये हासिल कर लिए थे। पुलिस ने साइबर ठगों तक पहुंचने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पूरी ताकत झोंक दी। ठगी के दस दिनों के भीतर ठगों तक पहुंच गई। अगले एक महीने में 18 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। इनमें दो बैंककर्मी सगे भाई भी शामिल रहे। पुलिस ने 65 लाख रुपये साइबर ठगों के हाथों में जाने से बचा लिया।
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शिक्षिका शम्पा रक्षित सिगरा थाना क्षेत्र के रथयात्रा स्थित अमलतास अपार्टमेंट में रहती हैं। उन्होंने अपना पुश्तैनी मकान पांच करोड़ में बेचा था। दो करोड़ में मकान खरीदा था और अन्य रुपये उनके बैंक खातों में थे। बीते आठ मार्च को उनके मोबाइल पर काल आई।
फोन करने वाले ने बताया कि वह टेलिकाम रेगुलेटरी अथार्टी से बोल रहा है। जानकारी दिया कि आपके पास पुलिस का एक फोन काल आएगा। थोड़ी ही देर में एक फोन काल शम्पा के मोबाइल पर आया। फोन करने वाले ने बताया कि वह महाराष्ट्र के विले पार्ले पुलिस स्टेशन से विनय चौबे बोल रहा है। एक मोबाइल नंबर बताकर कहा कि यह मोबाइल नंबर आपने लिया और इसके जरिए ब्लैक मनी लांड्रिंग हो रही है। इसलिए आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट है।
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उसने अपने सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा और वीडियो कालिंग के लिए स्काइप एप डाउनलोड कराया। इसके बाद खुद को पुलिस का सीनियर अधिकारी बताने वाले से शम्पा की बात होने लगी। वीडियो कालिंग के दौरान वह वर्दी में होता था इसलिए शम्पा ने उसे पुलिस अधिकारी मान लिया। उस व्यक्ति ने गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर के ही अंदर रहने और इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताने की धमकी दिया।
शम्पा से उसके पूरे परिवार और बैंक खातों का जानकारी लेकर उनको चेक किया। इसके बाद पूरे रुपये एक बैंक खाते में डालने को बोला जिसे वह आरबीआइ का खाता बता रहा था। आश्वासन दिया कि जांच के बाद सारे रुपये वापस कर दिए जाएंगे। डर की वजह से शम्पा ने उसके बताए बैंक खाते में तीन करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिया। फोन करने वालों ने खाते में बचे 55 लाख रुपयों की भी मांग की। इसे भी शिक्षिका ने ट्रांसफर कर दिया।
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इसके बाद शम्पा ने इस बारे में अपने सीए से बात की तो उसने साइबर ठगी होने की जानकारी दी। 13 मार्च को साइबर क्राइम थाना में मुकदमा दर्ज किया गया। तत्कालीन डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा के नेतृत्व में पुलिस टीम इस मामले के राजफाश में लग गई। पहली टीम में साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र, हेड कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता समेत 11 साइबर एक्सपर्ट रहे।
दूसरी टीम में साइबर सेल प्रभारी अजीत कुमार वर्मा के साथ सात एक्सपर्ट रहे। तीसरी टीम इंटेलिजेंस विंग प्रभारी (एसओजी) मनीष कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बनाई गई थी। इसमें पांच तेज-तर्रार पुलिसकर्मी शामिल थे। टीमों ने जांच शुरू की तो पता चला कि शिक्षिका को फोन काल वर्चुअल वाइस कालिंग एप के जरिए किया था। उनके रुपये दिल्ली व गुजरात के दो बैंक खातों में मंगाए थे।
इसके बाद तेजी से दो सौ बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। ठगों के कुछ साथी रुपये निकालते रहे और कुछ क्रिप्टो कैरेंसी आदि में इंवेस्ट करते रहे। गुजरात के नीरव बटुक भाई गोटी व ओम अश्विन भाई गोयानी के खातों में भी ठगी के रुपये पहुंचे थे। दोनों ने रुपये निकालने के लिए चेक का इस्तेमाल किया। बैंक खातों पर नजर जमाए पुलिस को इसकी जानकारी मिल गई। उन्हें गिरफ्तार करके वाराणसी ले आई।
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इन दोनों से तीन दिनों तक लगातार पूछताछ किया जिससे वह टूट गए और अपने साथियों के बारे में जानकारी दे दी। आमतौर पर साइबर ठग बैंक जाकर चेक या अन्य माध्यम से रुपये निकालने से बचते हैं लेकिन उनकी एक गलती ने पुलिस को इस साइबर ठगी का राजफाश करने का मौका दे दिया।
इसके बाद पुलिस ने लखनऊ के इंदिरा नगर के रहने वाले मो. तौफिक व आरिफ और यमुना बिहार के सगे भाई बैंककर्मी सरफराज आलम व नुरूलहुदा को गिरफ्तार किया। सरफराज आलम आइसीआइसीआइ बैंक लखनऊ में रिजनल हेड व नुरूलहुदा एचडीएफसी बैंक लखनऊ में कैशियर था।
दोनों साइबर ठगों की मदद रुपये निकालने और इंवेस्ट करने में कर रहे थे। सरफराज पिछले दो साल से साइबर ठगों से जुड़ा था। दोनों भाइयों ने शिक्षिका को ठगे जाने से कुछ दिन पहले ही खोले गए बैंक खातों का इस्तेमाल ठगी का रुपया मंगाने के लिए किया था।
गिरफ्तार साइबर ठगों में ओम अश्विन 19 वर्ष का है। वह जर्मनी जाना चाहता था इसके लिए उसे 12वीं पास की डिग्री चाहिए थी। एक दलाल ने उसे फर्जी डिग्री देने के लिए तीन लाख रुपये की मांग की थी। रुपयों का इंतजाम करने के लिए वह साइबर ठगों के साथ जुड़ा।
वहीं नीरव की उम्र 23 वर्ष है और यह डायमंड कटिंग का काम करता है। साइबर ठगों के साथ इनका काम बैंक या एटीएम से रुपये निकालना था। इसके बाद दिल्ली के मोहम्मदपुर आरके पुरम निवासी महेंद्र सिंह, महिपालपुर के सुशील कुमार यादव, महरौली संगम बिहार कालोनी निवासी टीटू कश्यप, हरियाणा गुरुग्राम के कार्टपुरी निवासी आकाश गुप्ता, अशोक बिहार फेज-1 के साहिल कटारिया, सुनील विश्नोई, सुखराली के तरूण सेहरावत, राजस्थान के बीकानेर देशर मगरा के मयंक भगेरिया को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
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मयंक भगेरिया ने शिक्षिका संग ठगी के मामले में अहम भूमिका निभाई थी। इसने ही साथियों संग मिलकर शिक्षिका को फोन काल करवाया। इसके बाद आरबीआइ का खाता बताकर उनसे महेंद्र सिंह के खाते में रुपये ट्रांसफर कराया। इसके बाद जयपुर के झालना निवासी पवन सिंह को वाराणसी कैंट स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। वह फर्जी नाम-पते पर बैंक खाता खुलवाकर और मोबाइल सिम लेकर साइबर ठगों की मदद करता था।