SBI Home Loan EMI: अगर आप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से होम लोन ले रहे हैं या लेने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है. देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने अपने एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) और रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) में कटौती की घोषणा की है. इससे होम लोन समेत कई अन्य लोन पर ब्याज दरें घटेंगी, जिससे ग्राहकों को EMI कम चुकानी होगी.
यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की कटौती के बाद लिया गया है. नई ब्याज दरें 15 फरवरी 2025 से लागू होंगी.
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EMI में होगी सहूलियत
SBI ने घोषणा की है कि EBLR को 9.15% से घटाकर 8.90% कर दिया गया है, जबकि RLLR अब 8.75% से घटकर 8.50% हो गया है. इस कटौती का सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जिनके लोन इन दरों से जुड़े हुए हैं. ब्याज दर में गिरावट से लोन की मासिक किस्त (EMI) कम हो सकती है या लोन की अवधि कम हो सकती है. हालांकि, बैंक ने मार्जिनल कॉस्ट-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR), बेस रेट और बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) में कोई बदलाव नहीं किया है.
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EBLR और RLLR कटौती का असर
SBI ने 1 अक्टूबर 2019 से अपने फ्लोटिंग रेट होम लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) से जोड़ा था. अब इस दर में 0.25% की कटौती की गई है, जिससे होम लोन, पर्सनल लोन और अन्य खुदरा लोन लेने वाले ग्राहकों को राहत मिलेगी. इसी तरह, RLLR में भी 0.25% की कमी की गई है, जिससे उन ग्राहकों का फायदा होगा जिनके लोन सीधे RBI के रेपो रेट से जुड़े हुए हैं.
पुरानी और नई ब्याज दरें
EBLR पहले: 9.15% + CRP + BSP, अब: 8.90% + CRP + BSP
RLLR पहले: 8.75% + CRP, अब: 8.50% + CRP
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किन ग्राहकों को होगा फायदा?
जो ग्राहक फ्लोटिंग रेट पर होम लोन ले रहे हैं, उन्हें इस फैसले से EMI में राहत मिलेगी. नई दरें लागू होने के बाद उनके मासिक भुगतान में कमी आ सकती है या वे अपने लोन की अवधि को कम कर सकते हैं. हालांकि, जिन ग्राहकों का लोन MCLR पर आधारित है, उन्हें इस कटौती का फायदा नहीं मिलेगा. ऐसे ग्राहक चाहें तो अपने लोन को EBLR या RLLR से लिंक करवाने के विकल्प पर विचार कर सकते हैं.
इस ब्याज दर कटौती के बाद नए लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए SBI का होम लोन ज्यादा आकर्षक हो सकता है. मौजूदा ग्राहक अपनी EMI का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं और जरूरत हो तो लोन रीफाइनेंसिंग का भी विकल्प देख सकते हैं. इसके अलावा, अन्य बैंकों के लोन ऑफर्स की तुलना करना भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि ब्याज दरों में बदलाव का सीधा असर लोन की कुल लागत पर पड़ता है.
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