HDFC MCLR: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट घटाने के बाद से कई बैंक अपने लोन की ब्याज दरें भी कम कर रहे हैं। अब देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने होली से पहले अपने ग्राहकों को तोहफा दिया है। HDFC Bank ने 2 साल के पीरियड पर MCRL को 0.05 फीसदी घटा दिया है। MCLR के आधार पर ही होम, कार और पर्सनल लोन का इंटरेस्ट तय होता है।
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HDFC Bank ने बढ़ाया MCLR
देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC के ग्राहकों को होली से पहले राहत दी है। HDFC ने कुछ पीरियड के लोन पर MCLR को 0.05 फीसदी घटा दिया है। ये MCLR रेट 2 साल के पीरियड पर घटाया है। बाकि, पीरियड पर MCLR पहले जैसा ही है। HDFC Bank की नई MCLR रेट 7 मार्च 2025 से लागू हो गई है।
पीरयड | नया MCLR (7 मार्च 2025) | पुराना MCLR |
ओवनाइट | 9.20% | 9.20% |
एक महीना | 9.20% | 9.20% |
तीन महीना | 9.30% | 9.30% |
छह महीना | 9.40% | 9.40% |
1 साल | 9.40% | 9.40% |
2 साल | 9.40% | 9.45% |
3 साल | 9.45% | 9.45% |
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एचडीएफसी बैंक की नई MCLR दरें – 7 मार्च 2025 से लागू
एचडीएफसी बैंक के ओवरनाइट एमसीएलआर 9.20 फीसदी है।
एक महीने का एमसीएलआर 9.20 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया है।
तीन महीने की एमसीएलआर 9.30 प्रतिशत है। इसमें बदलाव नहीं किया गया।
छह महीने की एमसीएलआर 9.40 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया है।
एक साल का एमसीएलआर 9.40 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया है।
2 साल का एमसीएलआर 9.45 फीसदी से घटाकर 9.40 फीसदी कर दिया है।
3 साल से अधिक पीरियड के लिए एमसीएलआर 9.45 फीसदी है। इसमें बदलाव नहीं किया गया।
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MCLR बढ़ने या घटने का असर
जब बैंक अपना MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) बदलते हैं, तो होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन जैसी सभी फ्लोटिंग रेट वाले लोन की ईएमआई पर असर पड़ता है। अगर MCLR बढ़ता है, तो लोन की ब्याज दरें बढ़ जाती हैं और आपकी ईएमआई महंगी हो जाती है। वहीं, अगर MCLR घटता है, तो ब्याज दरें कम हो जाती हैं, जिससे आपकी EMI सस्ती हो सकती है। इसका फायदा नए लोन लेने वालों को भी मिलता है क्योंकि उन्हें पहले की तुलना में सस्ता लोन मिल सकता है।
कैसे तय होता है MCLR?
बैंक MCLR तय करने के लिए कई फैक्टर पर ध्यान देते हैं, जैसे डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशो (CRR) की लागत। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो इसका सीधा असर MCLR पर पड़ता है। अगर रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी MCLR कम कर सकते हैं, जिससे लोन सस्ता हो सकता है। वहीं, अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो MCLR भी बढ़ जाता है और लोन की ईएमआई महंगी हो जाती है।
