Income Tax Slab Rate Update: वित्त वर्ष 2017-18 से नागरिकों के लिए टैक्स की दर में बदलाव नहीं किया गया है. फरवरी 2020 में एकमात्र परिवर्तन के जरिए ‘नई कर व्यवस्था’ की घोषणा की गई थी. अब, विशेषज्ञ चाहते हैं कि बजट 2023 स्लैब दरों में बदलाव किया जाए.
नई दिल्ली. बजट 2023 (Budget 2023) पेश होने से पहले आर्थिक जगत में सरगर्मी और आम आदमी की उत्सुकता बढ़ती जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट में लोग आयकर स्लैब से संबंधित बड़ी घोषणाओं का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि वित्त वर्ष 2017-18 से व्यक्तियों के लिए टैक्स की दर में बदलाव नहीं किया गया है.
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फरवरी 2020 में एकमात्र परिवर्तन के जरिए ‘नई कर व्यवस्था’ की घोषणा की गई थी. अब, विशेषज्ञ चाहते हैं कि बजट 2023 स्लैब दरों में बदलाव किया जाए ताकि व्यक्तियों को ज्यादा परचेसिंग पावर और नियोजित करदाताओं को कुछ राहत मिल सके.
मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब
वर्तमान आयकर प्रावधानों के अनुसार, एक व्यक्ति को स्लैब दरों के आधार पर करों का भुगतान करना आवश्यक है. भारत में 5 करोड़ रुपये से अधिक की आय के लिए उच्चतम स्लैब दर (अधिभार और उपकर को शामिल करने के बाद) वर्तमान में 42.744 प्रतिशत है.
CNBC TV18 की खबर के अनुसार, डेलॉइट इंडिया की पार्टनर तापती घोष चाहती हैं कि 30 प्रतिशत की उच्चतम कर दर को घटाकर 25 प्रतिशत किया जाए और उच्चतम कर दर की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाए. इसलिए, प्रस्तावित उच्चतम स्लैब दर (अधिभार और उपकर सहित) को घटाकर 35.62 प्रतिशत किया जा सकता है.
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वर्तमान में, नई कर व्यवस्था के तहत 7 आय स्लैब उपलब्ध हैं. इसके मुताबिक 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स से छूट है. पुरानी कर व्यवस्था के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुल आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो कर की दर शून्य है. उपरोक्त कर दरों पर लागू अधिभार और शैक्षिक उपकर लगाया जाएगा.
2017-18 के बाद टैक्स रेट में बदलाव नहीं
इनकम टैक्स रेट में आखिरी बदलाव 2017-18 के बजट में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया था. उन्होंने 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर लगने वाले 10 फीसदी टैक्स को घटाकर 5 फीसदी कर दिया था. इसके अलावा टैक्स रिबेट को भी 2.5 लाख से 5 लाख रुपये कमाने वाले लोगों के लिए लागू कर दिया गया था. गौरतलब है कि टैक्स स्लैब में 9 साल से बदलाव नहीं हुआ है.
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