New Income Tax Bill Draft- नए इनकम टैक्स बिल में ‘टैक्स ईयर’ को 1 अप्रैल से शुरू होने वाले 12 महीने के समय के रूप में परिभाषित किया गया है. नए बिल की भाषा सरल और स्पष्ट है.
नई दिल्ली. बजट 2025 में वित्त मंत्र निर्मला सीतारमण ने संसद में नया आयकर विधेयक पेश करने की बात कही थी. इस विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी भी मिल चुकी है. अब इसे किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है. नए इनकम टैक्स बिल का ड्रॉफ्ट भी अब सामने आया है. 622 पन्नों के इस ड्रॉफ्ट की भाषा मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 से आसान है. मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट में कुल 880 पन्ने हैं. हालांकि, नए बिल के ड्रॉफ्ट में चैप्टर संख्या जस की तस 23 रखी गई है. ड्रॉफ्ट में वर्तमान में प्रचलित एसेसमेंट ईयर की जगह केवल ‘टैक्स ईयर’ का प्रावधान किया गया है. अब फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को टैक्स ईयर (Tax Year) कहा जाएगा, जबकि एसेसमेंट ईयर शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा. नए बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर टैक्स नियमों को कड़ा किया गया है. यह अधिनियम इनकम टैक्स एक्ट, 2025 के रूप में जाना जाएगा. इसके एक अप्रैल 2026 से प्रभावी होने की उम्मीद है.
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ड्राफ्ट में स्टैंडर्ड डिडक्शन से लेकर कैपिटल गेन टैक्स के बारे में स्पष्टता दी गई है. ड्राफ्ट में शेयर बाजार के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा. इसके अलावा इसकी दरें भी समान रखी गई हैं. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. न्यू इनकम टेक्स बिल में एक बड़ा बदलाव केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी (CBDT) से जुड़ा हुआ है. बिल ड्राफ्ट के मुताबिक, पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को विभिन्न टैक्स स्कीम्स को शुरू करने के लिए संसद से संपर्क करना होता था, लेकिन न्यू टैक्स एक्ट 2025 के मुताबिक, अब सीबीडीटी को स्वतंत्र रूप से ऐसी योजनाएं शुरू कर सकेगा.
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‘टैक्स ईयर’ की नई परिभाषा
नए इनकम टैक्स बिल में ‘टैक्स ईयर’ को 1 अप्रैल से शुरू होने वाले 12 महीने के समय के रूप में परिभाषित किया गया है. हालांकि, किसी नए व्यवसाय या प्रोफेशन के मामले में टैक्स ईयर उसी दिन से शुरू होगा जब वह स्थापित हुआ और वित्तीय वर्ष के साथ समाप्त होगा. यानी, अब टैक्स आर्थिक गतिविधियों और टैक्स ईयर में अर्जित आय के आधार पर लगाया जाएगा. विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव भविष्य में टैक्स रिपोर्टिंग प्रणाली को अधिक सहज बना सकता है. एसेसी शब्द का इस्तेमाल नए इनकम टैक्स बिल के ड्रॉफ्ट में नहीं किया गया है.
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वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर कड़े प्रावधान
अब छापेमारी और अघोषित संपत्तियों की गणना में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) को भी शामिल किया गया है. पहले केवल नकदी, बुलियन, आभूषण आदि को इसमें गिना जाता था. इसके अलावा स्पष्टीकरण (explanations) और प्रावधान (provisos) हटा दिए गए हैं ताकि कानून को सरल बनाया जा सके. सर्विस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए राजस्व मान्यता (revenue recognition) और इन्वेंटरी वैल्यूएशन से जुड़े नए सेक्शन जोड़े गए हैं. तनख्वाह से मिलने वाली कटौतियों जैसे कि स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट आदि को एक ही स्थान पर संकलित किया गया है, ताकि ये अलग-अलग सेक्शनों में बिखरी न रहें.
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अभी और हो सकते हैं बदलाव
यह भी ध्यान में रहे कि यह अभी सिर्फ एक बिल है. इस बिल को इस हफ्ते या अगले हफ्ते सदन में पेश किया जाएगा. पेश करने के साथ ही इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाएगा. वहां इस पर सलाह मशविरा होगा. ऐसे में अभी इसमें कई सारे बदलाव भी हो सकते हैं. स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश के आधार पर जो बदलाव किए जाएंगे, उसके आधार पर इस बिल को संसद में रखा जाएगा. ऐसे में इसमें कई सारी चीजें बदल भी सकती हैं, इसकी संभावना से हम इनकार नहीं कर सकते.