RBI MPC Meeting 2025: रिजर्व बैंक ने आखिरकार करीब 2 साल से जारी आम आदमी के इंतजार को समाप्त कर दिया है और रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. अब प्रभावी रेपो रेट गिरकर 6.25 फीसदी हो गया है, जिससे लोन सस्ता हो जाएगा.
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नई दिल्ली. रिजर्व बैंक के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ही आम आदमी का इंतजार खत्म कर दिया. उन्होंने 3 दिन तक चली एमपीसी बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया है. इससे होम, ऑटो और पर्सनल सहित सभी तरह के खुदरा लोन सस्ते हो जाएंगे. आरबीआई ने लगातार 11 बार की एमपीसी बैठक में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बनाए रखा था, लेकिन 12वीं बैठक में इसे घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया है.
आरबीआई ने मई 2023 के बाद पहली बार रेपो रेट में बदलाव किया है. तब इसे 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था और इसके बाद से लगातार 11 बार की एमपीसी बैठक में यही दर बनी हुई थी. पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के रिटायर होने के बाद आए संजय मल्होत्रा ने विकास दर को गति देने के लिए रेपो रेट में कटौती का फैसला किया. भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर दूसरी तिमाही में गिरकर 4 साल के निचले स्तर पर चली गई थी.
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अन्य दरों में भी किया बदलाव
आरबीआई ने सिर्फ रेपो रेट ही नहीं बदला है, बल्कि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी यानी एमएसएफ की दरों को भी 6.5 फीसदी कर दिया है. एमएसएफ का मतलब है कि बैंक अपनी कुल पूंजी का कितना पैसा आरबीआई से कर्ज ले सकते हैं. इसके अलावा स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी यानी एसडीएफ की दर 6 फीसदी हो गई. ये वह आंकड़ा होता है, जो इकनॉमी में सर्कुलेट कुल नकदी को आरबीआई मैनेज करता है. इसके साथ रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी किया है. इसी दर पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं. सीआरआर यानी बैंकों को रिजर्व में रखने वाले पैसे का हिस्सा भी 4.5 फीसदी कर दिया है.
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7 फीसदी के करीब होगी विकास दर
आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि भले ही चालू वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही की विकास दर 4 साल में सबसे कम रही है, लेकिन आने वाले समय में इसमें तेजी दिखने की पूरी संभावना है. ग्रामीण क्षेत्र में डिमांड बढ़ने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्तवर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 6.75 फीसदी, दूसरी में 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
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काबू में रहेगी महंगाई
आरबीआई को सबसे ज्यादा परेशान करने वाली खुदरा महंगाई के भी आगे काबू में बने रहने की संभावना जताई गई है. एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि कोर यानी बुनियादी महंगाई दर भले ही बढ़ रही है, लेकिन चालू वित्तवर्ष में कुल खुदरा महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है. खाने-पीने की चीजों के दाम घटने की वजह से जनवरी में भी खुदरा महंगाई दर के नीचे रहने की संभावना है.
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