इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष ने कहा कि हर साल बिजली दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। यह चिंताजनक है। उद्योगों का काम इससे प्रभावित हो रहा है।
प्रदेश में तीनों ऊर्जा निगमों की ओर से दिए गए 29 प्रतिशत (यूपीसीएल 12, पिटकुल 12, यूजेवीएनएल 5 प्रतिशत) बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उद्योगपति खफा हैं। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में आए उद्योग संगठनों ने स्पष्ट कहा कि बिजली सस्ती करें नहीं तो उद्योग यहां से पलायन कर जाएंगे। अध्यक्ष एमएम प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने जनसुनवाई की।
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इसमें इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि हर साल बिजली दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। यह चिंताजनक है। उद्योगों का काम इससे प्रभावित हो रहा है। उद्योगपति राजीव अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ समय में यूपीसीएल की बिजली खपत घट रही है क्योंकि बिजली महंगी होने से लोगों का रुखापन सामने आ रहा है।
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उद्योगपति पवन अग्रवाल ने कहा कि ऊर्जा निगमों को उत्तराखंड के हित से कोई मतलब नहीं है। सालाना 13,870 मिलियन यूनिट बिजली की खपत होती है, जिसमें से 50 प्रतिशत खपत केवल उद्योगों में होती है। लेकिन बिजली दरें बढ़ाने की वजह से अब इंडस्ट्री यहां से पलायन करने लगी हैं।
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उन्होंने कहा कि उन्हें रोकना होगा। हमें कम से कम 5.50 रुपये तक बिजली के दाम लाने की जरूरत है। कोटद्वार से आए उद्योगपति शशिकांत सिंघल ने भी कहा कि लगातार बिजली के दाम बढ़ने से उद्योगों का काम प्रभावित हो रहा है। वह पलायन को मजबूत हो रहे हैं।
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