Uttarakhand tunnel collapse Update: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े एक शख्स ने कहा कि टनल के अंदर मैं बिजली पहुंचाने का काम करता हूं. पाइपलाइन ड्रिलिंग के लिए जो दिक्कतें आई थी, उसे दूर कर लिया गया है. एनडीआरएफ की टीम ने सरिया को काटकर हटा दिया है और अंत के दो पाइपलाइन डालने की प्रक्रिया चल रही है. बता दें कि दिल्ली में एक आधिकारिक अद्यतन सूचना में कहा गया कि शाम छह बजे तक सुरंग के ढहे हिस्से के मलबे में 44 मीटर तक एक ‘एस्केप’ (निकासी के लिये) पाइप डाला गया था. इससे पहले, अधिकारियों ने कहा था कि अमेरिका निर्मित ऑगर मशीन को उन श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 57 मीटर के मलबे के माध्यम से ड्रिल करना पड़ा, जो 10 दिन पहले निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से फंस गए थे. इस हिसाब से, केवल 13 मीटर मलबा खोदा जाना बाकी था.
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उत्तरकाशी/नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग (Uttarkashi Tunnel Collapse) में फंसे 41 श्रमिकों को आज नई जिंदगी मिल सकती है. सिलक्यारा सुरंग में पिछले 12 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए विभिन्न एजेंसियों का काम यानी रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में है. इसके मद्देनजर एम्बुलेंस को तैयार रखा गया है और चिकित्सकों को घटनास्थल पर बुला लिया गया है. फिलहाल, सुरंग में फंसे 41 मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच बाधा बनी लोहे की दीवार को भेद दिया गया है, जिसके बाद अब किसी भी वक्त 41 मजदूर मौत के मुंह से बाहर आ सकते हैं. बता दें कि देर शाम के घटनाक्रम में मलबे के बीच से स्टील पाइप की ड्रिलिंग में उस समय बाधा आई, जब लोहे की कुछ छड़ें ऑगर मशीन के रास्ते में आ गईं. हालांकि, बाद में इस लोहे के सरिया को भेद दिया गया. अब उम्मीद है कि बचाव अभियान आज सुबह तक पूरा हो जाएगा. तो चलिए 10 प्वाइंट में जानते हैं अब तक का पूरा अपडेट.
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उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े एक शख्स ने कहा कि टनल के अंदर मैं बिजली पहुंचाने का काम करता हूं. पाइपलाइन ड्रिलिंग के लिए जो दिक्कतें आई थी, उसे दूर कर लिया गया है. एनडीआरएफ की टीम ने सरिया को काटकर हटा दिया है और अंत के दो पाइपलाइन डालने की प्रक्रिया चल रही है.
पाइप डाल दिये जाने के बाद श्रमिक इसके माध्यम से बाहर निकल सकते हैं. यह पाइप एक मीटर से थोड़ा कम चौड़ा है. एक बार जब पाइप के दूसरे छोर तक पहुंच जाने पर फंसे हुए श्रमिकों के रेंग कर बाहर निकलने की संभावना है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम को शाम को सुरंग में प्रवेश करते देखा गया. निकासी की उम्मीद में विशेषज्ञों सहित 15 डॉक्टरों की एक टीम को साइट पर तैनात किया गया है.
बुधवार शाम को मलबे के माध्यम से 800 मिमी व्यास वाले स्टील पाइप की ड्रिलिंग में बाधा आने के संबंध में एक अधिकारी ने कहा था यह एक छोटी अड़चन है, जिसे एनडीआरएफ कर्मियों ने काटना शुरू कर दिया. सिलक्यारा में बचाव कार्यों में मदद कर रहे जोजिला सुरंग के परियोजना प्रमुख ने कहा था उन्हें दोबारा ड्रिलिंग शुरू करने से पहले अवरोध दूर करने में अधिकतम डेढ़ घंटे का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को निकालने का मार्ग पूरा करने के लिए मलबे के माध्यम से छह-छह मीटर के दो और पाइप लगाए जाने हैं.
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यह पूछे जाने पर कि पूरी कवायद में कितना समय लगेगा, अधिकारी ने कहा कि लोहे की छड़ों को काटने में डेढ़ घंटे से ज्यादा नहीं लगेगा लेकिन दो और पाइप बिछाने तथा उन्हें एक साथ वेल्डिंग करने में कुछ और समय लग सकता है. उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में अभियान बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक समाप्त हो सकता है. ऑगर मशीन के शुक्रवार दोपहर को किसी कठोर सतह से टकराने के बाद उससे ड्रिलिंग रोक दी गयी थी. ड्रिलिंग रोके जाने तक मलबे को 22 मीटर तक भेद कर उसके अंदर छह मीटर लंबे 900 मिलीमीटर व्यास के चार पाइप डाले जा चुके थे। मंगलवार आधी रात के आसपास ड्रिलिंग फिर से शुरू हुई.
पाइप डाल दिये जाने के बाद श्रमिक इसके माध्यम से बाहर निकल सकते हैं. यह पाइप एक मीटर से थोड़ा कम चौड़ा है. एक बार जब पाइप के दूसरे छोर तक पहुंच जाने पर फंसे हुए श्रमिकों के रेंग कर बाहर निकलने की संभावना है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम को शाम को सुरंग में प्रवेश करते देखा गया. निकासी की उम्मीद में विशेषज्ञों सहित 15 डॉक्टरों की एक टीम को साइट पर तैनात किया गया है.
घटनास्थल पर बारह एम्बुलेंस को तैयार रखा गया है और बेड़े में 40 एम्बुलेंस को तैयार रखने की योजना थी. मौके पर एक हेलीकॉप्टर भी तैयार रखने की योजना थी. सुरंग में फंसे श्रमिकों के बाहर आने के बाद उनकी देखभाल के लिए चिन्यालीसौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का एक अस्पताल तैयार कर लिया गया. अधिकारियों ने कहा कि जिले के सभी अस्पतालों के साथ-साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश भी अलर्ट पर है.
सोमवार देर रात मलबे के बीच डाली गई छह इंच की नयी पाइपलाइन के जरिये श्रमिकों के रिश्तेदारों ने उनसे बात की. सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों में देवाशीष का साला सोनू शाह भी मौजूद थे. देवाशीष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मजदूर जल्द ही बाहर आएंगे. देवाशीष ने कहा, बुधवार को हमें सुरंग के अंदर ले जाया गया और हमने अपने परिवार के सदस्यों से बात की.
सोनू ने मुझसे बार-बार कहा कि अब चिंता मत करों और हम जल्द ही मिलेंगे. उन्होंने कहा कि हमने दिवाली पर उसे फोन किया था लेकिन संपर्क नहीं हो सका. उसके साथियों ने हमें बताया कि सोनू का मोबाइल फोन खराब हो गया था. बाद में हमने अखबार में उसका नाम देखा और पता चला कि वह सुरंग के अंदर फंसा हुआ है.
उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए, जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात करके सिलक्यारा में चल रहे बचाव कार्यों की जानकारी ली.
सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए धामी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को केंद्रीय एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं प्रदेश प्रशासन के परस्पर समन्वय के साथ संचालित बचाव कार्यों से अवगत कराया और उन्हें गत 24 घंटे में हुई सकारात्मक प्रगति एवं श्रमिकों और उनके परिजनों की बातचीत से बढ़े मनोबल की भी जानकारी दी. मंगलवार को सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो सामने आया जिसने उनके परिवारों की उम्मीद के साथ ही बचावकर्मियों का मनोबल भी बढ़ा दिया.