AI तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल और खतरों को लेकर बिल गेट्स ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि कोई भी टेक्नोलॉजी इंसानों की जगह नहीं ले सकती है बल्कि इंसान इनका सही इस्तेमाल करके अच्छे से फायदा उठा सकते हैं.
नई दिल्ली. कुछ दिनों पहले जब इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी, तो यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया था. इस बयान के लिए नारायण मूर्ति को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था. अब दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर ने सप्ताह में 3 दिन काम करने का आइडिया दिया. बिल गेट्स ने नारायण मूर्ति की सोच के बिल्कुल विपरीत बात कही है.
दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल बिल गेट्स ने ‘What Now’ पॉडकास्ट पर साउथ अफ्रीकन कॉमेडियन ट्रेवर नोआ से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विषय पर बात करते हुए सप्ताह में 3 दिन काम करने की संभावना पर उम्मीद जताई.
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‘कोई टेक्नोलॉजी इंसान की जगह नहीं ले सकती’
इस खास प्रोग्राम में बिल गेट्स ने नौकरियों पर एआई के कब्ज़ा करने से जुड़ी चिंताओं को लेकर अपनी राय जाहिर की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है, लेकिन कोई भी टेक्नोलॉजी इंसान की जगह नहीं ले सकती है, बल्कि इसकी मदद से कामकाजी लोगों के समय की बचत जरूर होगी. बिल गेट्स के अनुसार, AI तकनीक की मदद से इंसानों के सप्ताह में 3 दिन काम और 4 दिन आराम करने के चलन की शुरुआत हो सकती है.
45 मिनट तक चली लंबी बातचीत के दौरान बिल गेट्स ने एआई की सकारात्मक क्षमताओं के बारे में बताया. उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जहां मशीनें खाद्य उत्पादन जैसे कार्यों को संभालेंगी. इसके अलावा उन्होंने प्रोग्रामिंग, टेस्ट और हेल्थ सर्विस समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रोडिक्टिविटी बढ़ाने की एआई की क्षमता के बारे में उत्साह जाहिर किया.
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68 वर्षीय बिल गेट्स ने एआई की मदद से एक सुनहरे भविष्य की कल्पान की. उनकी मानें तो एआई, बैलेंस वर्क लाइफ में अहम योगदान दे सकता है. उन्होंने कहा, “एआई का भविष्य उतना गंभीर नहीं है जितना कुछ लोग सोचते हैं. हालांकि, जोखिम वास्तविक हैं, लेकिन मैं आशावादी हूं कि उन्हें प्रबंधित किया जा सकता है.”
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