हिंदू ही नहीं इन धर्मों के लोग भी मनाते हैं दीपावली का पर्व
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रोशनी के उत्सव दिवाली को न केवल हिंदू धर्म में मनाया जाता है बल्कि जैन, बौद्ध और सिख समुदाय भी इसे विषेश रूप से मनाता है
हिंदू धर्म में माना जाता है कि इस दिन 14 साल के वनवास के बाद राम-सीता और लक्ष्मण अयोध्या वापस लौटे थे
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उत्तर भारत समेत पूरे देश में पांच दिवसीय रोशनी के इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है
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जैन धर्म में दीपावली को लेकर मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या के दिन ही चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी को मोक्ष मिला था
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साथ ही इसी दिन उनके पहले शिष्य गौतम गणधर को ज्ञान प्राप्त हुआ था इसलिए जैनियों में दिवाली का पर्व मनाया जाता है
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भले ही इनमें पूजन का तरीका अलग होता है लेकिन रोशनी और उत्सव का रिवाज यहां भी देखने को मिलता है
वहीं सिख समुदाय में कार्तिक अमावस के ही दिन साल 1577 में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी
साथ ही साल 1619 में इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह को कैद से रिहाई मिली थी ऐसे में सिख समुदाय भी दिवाली के दिन बड़ा उत्सव मनाते हैं
बौद्धों द्वारा दिवाली को उस दिन की स्मृति के रूप में मनाया जाता है जब सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म अपना लिया था