नई दिल्ली, पीटीआइ। PFRDA और NPS Trust अलग होने वाले हैं। इससे वे अपने फंड पर फोकस कर पाएंगे। यानि निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिलाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसके लिए मोदी सरकार जल्द एक बिल लाने वाली है। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसले के लिए संसद द्वारा पीएफआरडीए कानून में संशोधन का इंतजार है। उम्मीद है कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र में कानून में संशोधन का विधेयक पारित हो सकता है।
पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) के अध्यक्ष सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने बताया कि अलगाव के लिए पीएफआरडीए अधिनियम में संशोधन जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अब तक ट्रस्ट को लोगों की भर्ती करने की इजाजत दी है। उन्होंने लगभग 14-15 लोगों की भर्ती की है और अगले कुछ महीनों में वे 5 और लोगों की भर्ती करेंगे। इस तरह कुल कर्मचारियों की संख्या 20 हो जाएगी।’’
अलग-अलग फंड पर फोकस
उन्होंने कहा कि हम अलग होने के लिए तैयार हैं और साथ ही हमने तय किया है कि उनके (NPS Trust) द्वारा विशेष रूप से कौन से काम किए जाने हैं और पीएफआरडीए किन चीजों पर ध्यान देगा।
नया CEO बना
पहले NPS Trust, PFRDA भवन में स्थित था, लेकिन अब उसे दूसरी इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया है। बंद्योपाध्याय ने कहा कि उन्हें कुछ महीने पहले एक नया CEO मिला है और वह अलगाव से संबंधित कार्य की निगरानी कर रहे हैं।
फाइनेंस मिनिस्टर ने किया था ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्राहकों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए एनपीएस ट्रस्ट को पीएफआरडीए से अलग करने की घोषणा की थी। ट्रस्ट की स्थापना पीएफआरडीए ने एनपीएस के तहत संपत्ति और कोष के रखरखाव के लिये की थी। दोनों को अलग करने का प्रस्ताव पिछले कुछ वर्ष से विचाराधीन है।