भारतीय स्टेट बैंक अपने ग्राहकों को आए दिन कई तरह की सुविधाएं देता रहता है. कोरोना काल में अधिकतर सुविधाओं को ऑनलाइन कर दिया है. वहीं महामारी के दौरान कई लोगों के बैंक अकाउंट तक खाली हो चुके हैं. रोजगार जाने के कारण स्थिति ऐसी बन चुकी है कि मिनमम बैलेंस को भी मेंटेन नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि इस बीच बैंक ने मिनमम बैलेंस को लेकर अब नया बदलाव किया है. इस बाबत एक ट्विटर यूजर ने एसबीआई से सवाल किया तो बैंक की तरफ से जवाब भी दिया गया है.
सोशल मीडिया पर कई ग्राहकों ने बैंक से शिकायत की है कि बैंक मैनेजर द्वारा उन्हें 100 रुपये मिनमम बैलेंस रखने को कहा गया है जबकि कुछ लोगों का कहना है कि मिनमम बैलेंस के नाम पर उनसे पैसे काटे जा रहे हैं. वहीं कई लोगों का कहना है कि बैंक में अभी भी मिनमम बैलेंस के नाम पर 3000 रुपये रखने आवश्यक है. ऐसे में आखिर सही नियम क्या है और कितना मिनिमम बैलेंस रखना है
कितना होना चाहिए मिनमम बैलेंस?
बैंक ने बचत खातों में न्यूनतम औसत बैलेंस बनाए रखने की आवश्यकता को 11 मार्च 2020 के बाद से माफ कर दिया है. यानी 11 मार्च 2020 के बाद से अगर किसी व्यक्ति के खाते में 3000 रुपये से भी कम हैं तो बैंक द्वारा इसपर कोई चार्ज वसूला नहीं जाएगा. साथ ही ग्राहक चाहें तो जीरो रुपये बैलेंस के साथ भी अपने खाते को खोल सकते हैं.
फीस के नियम?
मेट्रों शहरों में एसबीआई सेविंग खाते में मिनमम बैलेंस 3000 रुपये हैं. अर्ध शहरी क्षेत्रों में 2,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों की एसबीआई शाखा में सेविंग अकाउंट पर मिनमम बैलेंस 1,000 रुपये रखना है. मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करने पर बैंक 5-15 रुपये और जीएसटी जोड़कर चार्ज वसूलता है. बैंक का कहना है कि मिनमम बैलेंस और सन्देश का शुल्क तय तिथि से नहीं लगने की घोषणा की है. लेकिन तय तिथि से पहले के बकाया चार्जेज को बैंक वसूलेगा. ऐसे में 11 मार्च से पहले अगर आपके खाते में पैसे कम थे तो बैंक आपसे चार्ज वसूलेगा. लेकिन इस तय तारीख के बाद अगर बैलेंस कम रहा है तब भी आपसे किसी प्रकार का चार्ज नहीं वसूला जाएगा.