इस बार के मानसून ने मौसम विभाग को काफी चौंकाया है। मौसम विभाग का 21 फीसदी पूर्वानुमान या भविष्यवाणियां मानसून की चाल के आगे गलत साबित हुईं। इसकी तुलना अगर पिछले साल से की जाए तो पिछले वर्ष सिर्फ 16 प्रतिशत पूर्वानुमान ही गलत साबित हुई थे।
राजधानी दिल्ली में इस बार मानसून उलट-पलट भरा रहा। मानसून पहले तो अपने तय समय से 16 दिन की देरी से पहुंचा, फिर जुलाई में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। वहीं अगस्त का महीना अभी तक सूखा ही रहा है। मानसून की इस चाल का अंदाजा लगाने में मौसम विभाग को खासी मशक्कत करनी पड़ी है।
प्रादेशिक मौसम पूर्वानुमान केंद्र के मुताबिक इस वर्ष मानसूनी सीजन में 79 फीसदी भविष्यवाणियां ही सही साबित हुईं। इसकी तुलना में पिछले वर्ष 84 फीसदी भविष्यवाणियां सही साबित हुईं थीं। हालांकि, मानसूनी सीजन में मौसम की भविष्यवाणी पहले भी मुश्किल रही हैं। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2012 में 92 फीसदी भविष्यवाणियां सही साबित हुईं थीं, जबकि वर्ष 2013 और 2014 में केवल 67-67 फीसदी भविष्यवाणियां ही सही साबित हुई थीं।
पूरे साल में 90% तक पूर्वानुमान सही साबित हो रहे
मौसम विभाग की ओर से साल भर की जाने वाली भविष्यवाणियों में 90 फीसदी तक सही साबित हो रही हैं। वर्ष 2020 में भी विभाग की 90 फीसदी भविष्यवाणियां सही साबित हुई थीं। हालांकि, बीते 10 सालों में 2012 का साल ऐसा रहा था, जब मौसम विभाग की 92 फीसदी भविष्यवाणियां सही साबित हुई थीं।
जाड़े के पूर्वानुमान सबसे सटीक
मौसम विभाग का जाड़े के मौसम का पूर्वानुमान सबसे सटीक साबित हो रहे हैं। वर्ष 2020 में जाड़े के सीजन के 100 फीसदी पूर्वानुमान सही साबित हुए थे, जबकि 2021 में अभी तक 98 फीसदी भविष्यवाणियां या पूर्वानुमान सही साबित हुए हैं।