नई दिल्ली: एक सितंबर यानी परसों से राजधानी दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में स्कूल खुलने जा रहे हैं. लेकिन कोरोना काल में तीसरी लहर की आशंका के बीच स्कूलों को खोलने को लेकर एक्सपर्ट्स एक राय नजर नहीं आ रहे हैं.
देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के डॉक्टर ने स्कूलों को खोलने का फैसला सही ठहराया है. वहीं जाने माने डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा स्कूलों को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, उनकी दलील है कि कई देशों में स्कूल खुलते ही केस बढ़ने के मामले सामने आए हैं.
एम्स के डॉक्टर ने कहा- यह एक अच्छा कदम है
देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉक्टर पुनीत मिश्रा ने कहा, ”मैं समझता हूं यह एक अच्छा कदम है और बच्चों के स्कूल जरूर खुलने चाहिए क्योंकि काफी समय हो गया है और बच्चों की शिक्षा भी आवश्यक है. अगर आप हेल्थ के पॉइंट ऑफ व्यू से देखते हैं तो इसमें दो बातें हमें समझनी होंगी एक हमें शुरू से मालूम है कि बच्चों में को कोविड का खतरा बहुत कम है.”
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ”ये जो सीरो प्रिवलेज की रिपोर्ट आ रही है उसके अनुसार करीब 60% से ज्यादा बच्चे सिरोपोजिटिव हो चुके हैं, तो यह राहत भरी खबर है कि अधिकांश बच्चे अगर सिरोपोजिटिव हो चुके हैं. उन में इंफेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है और अगर बच्चों में इंफेक्शन होता भी है तो सीवियर डिजीज होने का खतरा कम रहता है. तो इन सारी बातों को ध्यान में रखकर हमें सावधानी के साथ स्कूल खोल देनी चाहिए और जहां भी स्कूल खोले जा रहे हैं मुझे लगता है कि यह एक सही दिशा में बढ़ा हुआ कदम है.
डॉ. नरेश त्रेहान बोले- जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए
मेदांता अस्पताल की सीएमडी और देश के जाने माने डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा, ”यूएस में स्कूल खोलने के बाद कोरोना के मामले एक दम से बढ़ गए हैं और वहां पर बहुत से बच्चों को वैक्सीन लग चुकी है. हमें सावधान रहना चाहिए हमेशा बच्चों के लिए जो तैयारी है वो कम है. अगर वेव जल्दी आ गई तो बच्चों के लिए मुश्किल हो जाएगी.”
उन्होंने आगे कहा, ”अमेरिका में अभी डेल्टा है हमारे यहां तो डेल्टा प्लस पहले से ही है. बच्चों को दिक्कत तो है लेकिन मुझे लगता है, जब वैक्सीन आ गई है बच्चों को वैक्सीन लग जाए उसके बाद स्कूल खोले जाए तो अच्छा है. अभी तो बहुत से टीचर को भी वैक्सीन नहीं लगी है. मेरे हिसाब से ये वार्निंग है दुनिया में जहां भी स्कूल खुले है उसके बाद दिक्कत हुई है.”
एक्सपर्ट्स की अलग अलग राय ने अभिभावकों के लिए मसीबत खड़ी कर दी है. दरअसल बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर उनमें कोरोना के खतरे को लेकर अलग अलग विशेषज्ञों और एजेंसियों की तरफ से इतनी बातें कही जा चुकी हैं कि अभिभावक भी समझ नहीं पा रहे हैं कि वो किसे सही मानें और किसे गलत. इसीलिए स्कूल के मुद्दे पर अभिभावकों की राय भी बंटी हुई है.