जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में बिजली संकट आखिरकार खत्म हो गया। दो दिन तक ग्रामीण इलाकों के साथ ही कस्बों में अघोषित बिजली कटौती की गई थी। जरूरत के अनुसार कोयला नहीं मिलने के कारण कालिसिंध और सूरतगढ़ थर्मल प्लांट बंद हो गए थे। बकाया का भुगतान नहीं मिलने के कारण कोयला कंपनियों ने कोयला भेजना बंद कर दिया था। इस कारण बिजली उत्पादन बंद हो गया था।
राज्य सरकार ने कंपनियों को 1740 करोड़ रुपए का भुगतान किया तो कोयला मिला और उसके बाद बिजली उत्पादन शुरू हो सका। अभी सरकार को 1060 करोड़ रुपए का भुगतान कंपनियों को और करना है। कोयला मिलने के बाद झालावाड़ में कालिसिंध की 600 मेगावाट की एक यूनिट, छबड़ा की 250 मेगावाट की एक यूनिट, सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 660-660 मेगावाट की दो यूनिट शुरू हो गई है। कोयला संकट के कारण विद्युत उत्पादन निगम ने केवल सुपर क्रिटिकल यूनिट चलाने को प्राथमिकता दी है।
निगम के पास वर्तमान में करीब 40 हजार टन कोयले का स्टॉक मौजूद है। सूरतगढ़ की दोनों इकाई नई तकनीक पर आधारित हैं। इस कारण इनमें कम कोयला उपयोग में आता है। उल्लेखनीय है कि निगम लंबे समय से कोयला तो मंगवा रहा था। लेकिन कोल इंडिया और अन्य कोयला खदानों को भुगतान नहीं कर रहा था। भुगतान नहीं मिलने के कारण कंपनियों ने राज्य में कोयला देना बंद कर दिया।
निगम के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक इस संबंध में जानकारी भी नहीं पहुंचाई। जिससे उच्च स्तर तक बातचीत नहीं हो सकी। जानकारी के अनुसार निगम ने कोल इंडिया को 365 करोड़ का भुगतान किया है। इसी तरह एक अन्य कंपनी पीकेसीएल को 1100 करोड़ का भुगतान किया गया है। अन्य कोयला 275 करोड़ का भुगतान किया गया।