जयपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर में जान गंवाने वालों के परिजनों को राजस्थान सरकार प्राथमिकता के आधार पर खान आवंटित करेगी। नई खानों के आवंटन में इन लोगों के लिए कोटा तय किया जाएगा। प्रत्येक क्षेत्र में इनके लिए तय संख्या में खनन पट्टे आरक्षित किए जाएंगे। इसके साथ ही नई खानों के आवंटन में दलितों, पिछड़ों और इंजीनियरों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। राज्य के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि कोरोना महामारी में कई ऐसी मौतें हुईं हैं, जिनके परिजनों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। उन्हें जीवन यापन करने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में खान आवंटित कर इन्हें आर्थिक संबल देने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में चल रही बड़ी खानों में खान मालिकों को मृतक आश्रितों के परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर नौकरी देने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि नई खनन नीति अगले कुछ दिनों में तैयार हो जाएगी। देश के अन्य राज्यों की खनन नीतियों का अध्ययन करने के लिए अधिकारियों की टीम अलग-अलग प्रदेशों में भेजी गई है। राज्य में बजरी के अवैध खनन बेवजह पर्यावरण क्लियरेंस रोके जाने के मामले में भाया ने कहा कि यह मामला नेशनल ग्रीन टिृब्यूनल ओर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। राज्य सरकार ने दोनों के समक्ष अपना पक्ष रख दिया। वर्तमान में बजरी पर रोक के कारण लोगों को काफी समस्या हो रही है। अवैध बजरी खनन की शिकायत भी मिल रही है। सरकार बजरी के अवैध खनन को रोकने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही बजरी की समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान में पहले के मुकाबले कोरोना वायरस के संक्रमण में काफी कमी आई है। फिर भी गहलोत सरकार ने गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा है।