नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली विधानसभा में बने फांसी घर और सुरंग को जनता के लिए खोला जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली विधानसभा से जुड़े इतिहास को एक फिल्म के जरिये दिखाया जाएगा। यह सबकुछ अगले साल 15 अगस्त तक तैयार करने की दिल्ली सरकार ने योजना बनाई है। दिल्ली विधानसभा में एक सुरंग है, जो विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी के ठीक सामने दूसरे छोर पर खुलती है। यह सुरंग तीन तरफ जाती है। इसका एक सिरा विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी की तरफ जाता है, दूसरा बाएं को यानी लाल किले की तरफ जाता है, तीसरा दाएं तरफ फांसी घर की ओर जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल कहते हैं कि 1912 से लेकर 1926 तक यहां केंद्रीय पार्लियामेंट थी। इसके बाद यहां ब्रिटिश हुकूमत की अदालत चलती थी। वह बताते हैं कि उस समय लाल किला मे कैद स्वतंत्रता सेनानियों को सुरंग से लाया जाता था और यहां जिनकी फांसी पर फैसला होता था। उन्हें सुरंग से ही फांसीघर तक ले जाया जाता था। 1993 में जब वह विधायक थे, उस समय यहां एक सुरंग के बारे में अफवाह उड़ी थी। हालांकि, उस समय इस सुरंग को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। अब सुरंग मिल गई है, लेकिन उसे आगे नहीं खोद रहे हैं, क्योंकि मेट्रो परियोजना और सीवर स्थापना के कारण सुरंग के सभी रास्ते नष्ट हो गए हैं। दिल्ली विधानसभा से लाल किला की दूरी करीब 5.6 किलोमीटर है।
फिल्म के माध्यम से देख सकेंगे दिल्ली विधानसभा के 109 साल का इतिहास
दिल्ली विधानसभा से जुड़ा 109 साल का इतिहास अब एक फिल्म के माध्यम से देख सकेंगे। इस फिल्म को नेहरू तारामंडल की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। इसके तहत एक थियेटर तैयार किया जाएगा। इसमें फिल्म चलेगी। एक घंटे की फिल्म में 1912 में देश की राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली लाए जाने से लेकर अब तक का इतिहास दिखाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक फिल्म में मुख्य फोकस स्वतंत्रता आंदोलन में किसी न किसी रूप में अपना योगदान देने वाले बलिदानियों पर ही केंद्रित रहेगा। दिल्ली विधानसभा के दोनों एमएलए लांज में उन भारतीय नेताओं की फोटो भी लगेगी, जो ब्रिटिश हुकूमत के समय नेशनल पार्लियामेंट के सदस्य थे। ये वे लोग थे, जो विधानसभा के माध्यम से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे थे। इन लोगों में मोती लाल नेहरू, पंडित मदन मोहन मालवीय, बिट्ठल भाई पटेल व तेज बहादुर सप्रू जैसे नाम शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा ने लोकसभा से भारतीय नेताओं की सूची मांगी थी। इसमें से अभी तक 23 नेताओं की सूची मिली है ।
किसी मंदिर से कम नहीं है विधानसभा का फांसी घर
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि फांसी घर मंदिर से कम नहीं है। यहां स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराने के लिए प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने बताया कि इस फांसीघर को विकसित किया जाएगा। फांसी के कमरे की मौजूदगी के बारे में सभी को पता था, लेकिन इसे कभी खोला नहीं। अब आजादी का 75वां साल है। इसमें उन्होंने कमरे का निरीक्षण करने का फैसला किया है। इस कमरे को स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में तीर्थस्थल में बदला जाएगा।
तैयार होगी डिजिटल गैलरी, महात्मा गांधी पर बनेगी फिल्म
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1918 और 1931 में यहां भ्रमण किया था। उनसे संबंधित एक डिजिटल गैलरी यहां तैयार की जाएगी। उन पर एक फिल्म भी बनेगी। जो यहां आने वालों को दिखाई जाएगी। अंग्रेज जब कोलकाता छोड़कर दिल्ली को राजधानी बनाने आए तो उन्होंने देश चलाने के लिए पहले ही स्थान का चयन कर लिया था। लंदन के मशहूर आर्किटेक्ट ई. मोंटे ने पुराना सचिवालय यानी दिल्ली विधानसभा की इमारत का नक्शा तैयार किया और उसे अमली जामा भी पहनाया। दो साल में इसका निर्माण हुआ और वर्ष 1912 में अंग्रेजों ने यहां से राज चलाना शुरू कर दिया। अंग्रेजों ने यहां से 1926 तक राज चलाया।