Samagra Shiksha Abhiyan, किताब खरीद मामले को लेकर समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) एक बार फिर विवादों में आ गया है। उत्तर मध्य भारत हिंदी प्रकाशक संघ ने अनियमितता का दावा किया है। आरोप के अनुसार मामला वर्ष 2019-20 की किताब खरीद से जुड़ा हुआ है। एसएसए ने बिना टेंडर के छह करोड़ रुपये की पुस्तकें खरीदी। एक करोड़ 45 लाख 34 हजार की आपूर्ति का आर्डर एक ही फर्म को दिया। यह दिल्ली का प्रकाशक है। इसी प्रकाशक को 16 जनवरी, 2020 को इसे आपूर्ति आदेश जारी किया गया। 72 लाख रुपये की एक ही पाठ्यक्रम की किताबें छठी से जमा दो के विद्यार्थियों के लिए खरीदी गईं।
प्रकाशक संघ ने दावा किया है कि आरटीआइ के तहत इस संबंध में पूरे दस्तावेज उसके पास मौजूद हैं। प्रकाशक संघ के संरक्षक और वाणी प्रकाशन के प्रमुख अरुण महेश्वरी ने यहां जारी बयान में बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में स्कूलों की लाइब्रेरी के लिए समग्र शिक्षा अभियान को करीब 11 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से प्राप्त हुए थे। निजी प्रकाशकों से पुस्तकें 35 फीसद की छूट पर सरकारी एजेंसियां लेती हैं। इस राशि से अन्य किताबों की खरीदी की जाती है। आरोप है कि इसके स्थान पर वर्ष 2019-20 में हिमाचल प्रदेश समग्र शिक्षा कार्यालय ने निजी प्रकाशकों से मात्र 10 फीसद की छूट ली और वह भी किताबों के रूप में अर्थात पूरे 35 फीसद की राशि छोड़ दी गई, जो लगभग दो करोड़ रुपये है।
10 फर्म के आग्रह पत्र एक ही
उत्तर मध्य भारत हिंदी प्रकाशक संघ का दावा है जिन 10 फर्मों को किताब खरीद का आर्डर दिया गया उनके समग्र शिक्षा अभियान को दिए गए आग्रह पत्र में एक जैसा मैटर है। कौमें तक का अंतर नहीं है। आरोप लगाया कि 2019-20 में जिन फर्मों को बिना टेंडर आपूर्ति आर्डर दिया गया था उनमें अधिकांश को दोबारा 2020-21 में भी चयनित किया गया है। अरुण महेश्वरी ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय शिक्षा मंत्री व केंद्रीय शिक्षा सचिव के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से इसको लेकर मुलाकात की जाएगी। प्रकाशक संघ 17 सितंबर को शिमला आ रहे राष्ट्रपति को भी इस विषय से अवगत करवाने की तैयारी में है।
क्या कहते हैं परियोजना निदेशक
राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा विभाग वीरेंद्र शर्मा ने कहा ये सभी आरोप मेरे समय के नहीं हैं। पूर्व में ये मामला हुआ है। इस साल अब तक न ही कोई टेंडर किया है, न ही किसी से किताब खरीदी है।