बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले तीन दिनों से मूसलाधार बारिश की जानकारी मिल रही है. कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं तो वहीं कई गांवों के जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुके हैं. अब बिलासपुर जिले के देवरीखुर्द बूटा पारा इलाके से जानकारी मिली कि यहां पांच परिवार बाढ़ में फंस गए थे. दो मुहानी एनीकट के पास फंसे 20 में से करीब 15 लोगों को आज SDRF की टीम ने रेस्क्यू कर बाहर निकाल लिया. इनमें एकक 70 साल की बुजुर्ग का भी रेस्क्यू किया गया.
धीरे-धीरे कम हो रहा पानी
रेस्क्यू किए गए सभी 15 लोगों को देवरीखुर्द के बूटा पारा लाया गया. जिनमें केवल सोनू खान का परिवार ही वहां बचा. SDRF की टीम, तोरवा पुलिस और जिला प्रशासन के लोग मौके पर डटे रहे. वहीं बताया जा रहा है कि अरपा और खारुन के संगम दो मुहानी एनीकट पर अब पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है.
70 साल की बुजुर्ग का किया रेस्क्यू
चौकी बेलगहना से करीब 28 किलोमीटर दूर सोनसाय नवगांव ग्राम पंचायत के ग्रामीणों से सूचना मिली कि तीन ग्रामीणों जिनमें एक 70 साल की बुजुर्ग और दो पुरुष पानी में फंसे हुए हैं. बुजुर्ग यशोदा बाई खुसरो सरगोड़ नदी तथा अरपा नदी के बीच खेत में बनी झोपड़ी में बाढ़ आने से फंस गईं. मौके पर एडिशनल एसपी ग्रामीण जिला बिलासपुर रोहित कुमार झा पहुंचे.
उफनती नदी में कूदा जवान
ASP के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी कोटा दिनेश चंद्रा तथा चौकी प्रभारी बेलगहना अजय वारे ने पुलिस के साथ मिलकर सोनसाय नवागांव में ग्रामीणों का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. उफनती नदी में बेलगहना चौकी का आरक्षक सत्येंद्र सिंह राजपूत कूदा और नदी को तैरते हुए पार कर गया. उसने बीच मझदार में फंसी 70 साल की बुजुर्ग यशोदा खुसरो को ग्रामीण राजकुमार श्रीवास के साथ मिलकर 3 घंटे की मशक्क्त के बाद बाहर निकाला
जशपुर में भी बनी आफत
बिलासपुर समेत अन्य जिलों में भी बारिश का कहर बरकरार है. पिछले तीन दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है. इससे किसानों के चेहरे तो खिल उठे, लेकिन शहर में कई लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिले के पत्थलगांव के पास कुमकेला गांव के अधिकांश घरों में बारिश का पानी घुस आया है. कइयों के घर तालाब में तब्दिल हो गए.
इस तरह की मुसीबत का सामना लोगों को हर साल करना पड़ता है, लेकिन फिर भी प्रशासन इस समस्या को हल नहीं कर पा रहा है. पिछले साल तत्कालीन SDM ने मौके पर पहुंचकर पीड़ितों को रहने की व्यवस्था और घर देने का आश्वासन दिया था. लेकिन एक साल बाद भी लोग परेशानी ही झेल रहे हैं. जिले से करीब दो दर्जन गांवों का संपर्क टूट गया है, यहां का जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त हो चुका है.