काठमांडू, प्रेट्र। भारत और नेपाल ने गुरुवार को दक्षिणी नेपाल के तराई भाग में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर वर्चुअल चर्चा की। इस दौरान 14 सड़कों के निर्माण पर खासतौर से चर्चा हुई। ये सड़कें भारत ने सद्भाव प्रदर्शित करते हुए बनाई हैं। परियोजनाओं की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त समिति ने तराई क्षेत्र में सड़क निर्माण परियोजना की प्रगति के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान किया।
14 सड़कों के निर्माण का लिया था जिम्मा
भारत सरकार के अनुदान से बनी इन सड़कों के निर्माण की प्रगति पर संयुक्त समिति ने संतोष जताया। भारत ने तराई इलाके में 14 सड़कों का निर्माण कराने का जिम्मा लिया था जिनमें से 13 पूरी हो चुकी हैं। सड़क निर्माण की परियोजना कोविड महामारी के चलते प्रभावित हुई लेकिन कार्य में ज्यादा विलंब नहीं होने दिया गया। अब शत प्रतिशत कार्य पूरा होने के करीब है। भारत ने 2016 में दस सड़कों के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, बाकी चार सड़कों के लिए अतिरिक्त धनराशि दी गई।
शुरुआती दस सड़कों की कुल लंबाई 306 किलोमीटर है। ये सड़कें भारतीय सीमा तक आने वाले पूर्व-पश्चिम राजमार्ग से जुड़ी हैं। इनके बनने से दोनों देशों के लोगों का आपसी संपर्क आसान हो जाएगा। वे आसानी से आ-जा सकेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (उत्तरी) अनुराग श्रीवास्तव और नेपाल के सार्वजनिक सुविधाओं और यातायात मंत्रालय के संयुक्त सचिव केशव कुमार शर्मा ने बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता की।
स्कूल की इमारत भी बनाकर दी
भारत की आर्थिक सहायता से बनी दो मंजिला स्कूल इमारत गुरुवार को नेपाल को औपचारिक रूप से सौंप दी गई। लगभग 60 लाख रुपये की लागत से बनी यह स्कूल इमारत नेपाल के मकवनपुर जिले में स्थित है। यह स्कूल 2015 में आए भूकंप में पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इसके बाद भारत ने इसके पुन: निर्माण की जिम्मेदारी ली थी।