भुवनेश्वर, बालेश्वर के चांदीपुर आइटीआर (Chandipur ITR) केंद्र से आइएसआइ (ISI) के लिए गुप्त रूप से काम करने वाले एजेंट पकड़े जाने के बाद प्रतिरक्षा से जुड़े संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। भद्रक जिले में स्थित अब्दुल कलाम प्रक्षेपण केंद्र में जबरन कब्जा जमाने वाले बांग्लादेशी मुस्लिम (Bangladeshi Muslim) आबादी इलाके में आइएसआइ के एजेंट होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। ह्वीलर द्वीप (wheeler Island) पर बने अब्दुल कलाम प्रक्षेपण केंद्र अत्यंत महत्वपूर्ण सामरिक संस्थान की श्रेणी में आता है लेकिन धामरा बंदरगाह और ह्वीलर द्वीप पर सुरक्षा व्यवस्था उतनी तेजतर्रार नहीं है जितनी होनी चाहिए।
प्रक्षेपण केंद्र के आसपास बांग्लादेशी लोगों का अवैध आवागमन सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहा है। चांदीपुर जैसे सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम वाले इलाके में जब आईएसआई एजेंट घुस सकते हैं तो ह्वीलर द्वीप में घुस कर प्रतिरक्षा तंत्र में सेंध लगाने की आशंका निराधार नहीं है।
चांदबाली ब्लॉक के धामरा, दोसिंगा,कशिआ, कइथखोला, जम्बु, केन्द्रपाड़ा जिले में राजनगर, तालचुआ में लाखों बांग्लादेशी बस चुके हैं मगर प्रशासन के पास कोई जानकारी नहीं है। ऐसे स्थिति में अवैध रूप से आ बसें बांग्लादेशी खतरा बन सकते हैं। राज्य सरकार ने समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए धामरा, कशिआ, बलरामगडी में सामुद्रिक थाने बनाए हैं लेकिन थानों में स्पीड बोट से लेकर अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए नहीं गए हैं।
धामरा सामुद्रिक थाने में 5 करोड़ रुपए मूल्य के 3 स्पीड बोट मुहैया कराई गई है मगर ये प्रायः बंधे हुए ही रहते हैं। इनके जरिए समंदर में निगरानी लगातार बनाए रखने से घुसपैठियों की गतिविधियों पर नजर रखने में सहायता मिलेगी। बालेश्वर की घटना सामने आने के बाद खुफिया विभाग को और अधिक सतर्क रहना होगा नहीं तो धामरा बंदरगाह और ह्वीलर द्वीप में भी आईएसआई एजेंट घुस सकते हैं।