नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। इंडियन पेपर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (IPMA) ने पेपर बैग, कार्टन, बॉक्स व अन्य पैकेजिंग पर जीएसटी की दर बढ़ाए जाने पर चिंता जताई है। एसोसिएशन ने कहा कि इस कदम से ग्राहकों के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक से दूर होने का विकल्प महंगा होगा। जीएसटी काउंसिल ने 17 सितंबर को अपनी 45वीं बैठक में कागज के कार्टन, बॉक्स, बैग व पैकिंग कंटेनर पर जीएसटी की दर को 12 से 18 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी।
आईपीएमए के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल की यह सिफारिश चौंकाने वाली है और सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के सरकार के कदमों के अनुकूल नहीं है। बायोडिग्रेड नहीं हो पाने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक के वैश्विक खतरे को देखते हुए भारत ने 2022 तक सभी सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबद्धता जताई है।
पिछले महीने इस दिशा में प्रयास करते हुए भारत सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स को संशोधित करते हुए पहली जुलाई, 2022 से कई सिंगल यूज प्लास्टिक को मैन्यूफैक्चर करने, बेचने और इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। साथ ही 30 सितंबर, 2021 से 75 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक कैरी बैग और 31 दिसंबर, 2022 तक 120 माइक्रोन तक के कैरी बैग के प्रयोग को प्रतिबंधित कर दिया है।
आईपीएमए प्रेसिडेंट श्री एएस मेहता ने कहा कि कागज पर्यावरण की दृष्टि से सबसे बेहतर उत्पाद है, क्योंकि यह पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल, रीसाइकिल किया जा सकने वाला प्रोडक्ट है और इसके उत्पादन का स्रोत भी ऐसा ही है। कागज कई मामलों में सिंगल यूज प्लास्टिक का बेहतर विकल्प हो सकता है। पेपर कार्टन, बॉक्स और बैग पर जीएसटी बढ़ाना सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग खत्म करने की दिशा में सरकार के प्रयासों के खिलाफ है।