देहरादून: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि से संबद्ध कालेजों को विवि के संबद्धता विस्तार प्रमाण पत्र लेने के लिए अब विवि के चक्कर नहीं लगाने होंगे। बहुत जरूरी नहीं होने तक विवि की निरीक्षण टीम भी कालेजों में नहीं आएगी। विवि ने इसके लिए आनलाइन पोर्टल लांच कर दिया है। विवि से संबद्ध कालेजों को इसी पोर्टल पर अपने कालेज का पूरा डाटा, शिक्षकों की जानकारी समेत अन्य सभी दस्तावेज अपलोड करने होंगे। अगर विवि को जरूरी लगा तो पांच सदस्यों की टीम कालेजों में भेजकर कालेज की ओर से अपलोड की गई जानकारी का भौतिक सत्यापन भी करेगी।
गढ़वाल विवि की ओर से साल 2017 के बाद से विवि से संबद्ध किसी भी कालेज में संबद्धता विस्तार के लिए निरीक्षण नहीं किया। पूर्व में विवि के कुलपति समेत उच्चाधिकारियों की ओर से निजी कालेजों को नियम विरुद्ध सीट आवंटित करने एवं नए कोर्स की मान्यता देने का खुलासा होने के बाद, केंद्र सरकार ने विवि के निरीक्षण पर रोक लगा रखी थी। गढ़वाल विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने बताया कि पोर्टल तैयार करने में भले ही थोड़ा समय लग गया हो, लेकिन इससे निजी कालेजों को बड़ी सहूलियत होगी। वहीं, संबद्धता लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। गढ़वाल निरीक्षण पर रोक हटने से निजी कालेजों में छात्रवृत्ति का लाभ लेने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि विवि की ओर से संबद्धता विस्तार का पत्र नहीं मिलने से कई कालेजों में पढ़ रहे छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही थी। अब इन छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
पंजीकरण शुल्क पांच गुना होने का विरोध
एसोसिएशन आफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष डा. सुनील अग्रवाल ने सोमवार को अपने कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर एचएनबी गढ़वाल विवि की ओर से संबद्धता विस्तार के लिए पंजीकरण शुल्क एक हजार से बढ़ाकर पांच हजार करने का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि पहले तो विवि ने चार सालों से कोई निरीक्षण नहीं किया, ऊपर से पंजीकरण शुल्क सीधा पांच गुना बढ़ा दिया। उन्होंने विवि की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि निरीक्षण नहीं होने से कई छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है। अब निरीक्षण के लिए पत्र जारी किया तो वह सत्र 2020- 21 का है, जबकि नया सत्र शुरू होने वाला है। इससे पिछले सत्र के छात्रों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने विवि द्वारा निरीक्षण के लिए पांच सदस्यों की टीम रखने एवं हर व्यक्ति को कालेज की ओर से 17300 रुपये खर्च देने को भी गलत ठहराया।