नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। देश की राजधानी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए अब चीनी कंपनी की मदद नहीं ली जाएगी। योजना पर काम कर रहे लोक निर्माण विभाग के अनुरोध पर भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड ने चीनी कंपनी से कैमरे नहीं खरीदने का फैसला लिया है। अब ये कैमरे देश की ही एक कंपनी से खरीदे जाएंगे। दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे की योजना के दूसरे चरण में भी एक लाख 40 हजार कैमरे लगाए जाने हैं। इन नए कैमरों में कुछ अतिरिक्त फीचर जोड़े गए हैं। आरडब्ल्यूए के लोग अब कहीं भी बैठकर मोबाइल पर अपनी कालोनी के कैमरों से रियल टाइम स्थिति देख सकेंगे। हालांकि यह सुविधा केवल आरडब्ल्यूए के उन्हीं लोगों के लिए होगी, जिन्हें पासवर्ड मिला होगा।
सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली सरकार ने शहर में तीन साल पहले कैमरे लगाने का काम शुरू किया था। खासकर महिलाओं को ध्यान में रखकर यह योजना लाई गई थी। जब योजना शुरू हुई थी तो उस समय एक लाख 40 हजार कैमरे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। यानी प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दो-दो हजार कैमरे लगाए जाने थे। इस पर करीब 400 करोड़ की राशि खर्च की गई है। अभी इस योजना के तहत दिल्ली भर में एक लाख 35 हजार कैमरे लगाए जा चुके हैं। कुछ दिक्कतों के कारण पांच हजार कैमरे नहीं लग सके हैं। इन्हें अब एक माह में लगा दिया जाएगा।
यहां बता दें कि जब पहले चरण के कैमरे लगाए जाने का काम शुरू हुआ था, उसी दौरान सरकार ने दिल्ली भर में दो-दो हजार और कैमरे लगाने की घोषणा कर दी थी। दूसरे चरण के कैमरे लगाने का काम भी भारत सरकार के उपक्रम उसी भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को दिया गया, जिसने पहले चरण के कैमरे लगाए हैं। पहले चरण के कैमरे लगाए जाने के दौरान विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि चीन की कंपनी से कैमरे लगवाए जा रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार ने सफाई दी थी कि उसकी ओर से भारत सरकार के उपक्रम बीईएल को काम दिया गया है।
अब दूसरे चरण का काम शुरू हो चुका है। इस पर करीब साढ़े 400 करोड़ की राशि खर्च होगी। योजना पर काम कर रहे लोक निर्माण विभाग के सूत्रों का कहना है कि विभाग की ओर से बीईएल को कहा गया है कि कैमरे लगाने में चीनी कंपनी की सहभागिता न करें। इसके बाद बीईएल ने कैमरे लगाने के मामले में चीन की कंपनी हिकविजन की जगह भारत के आदित्य इंफोटेक ग्रुप की तिरुपति स्थित सीपी प्लस कंपनी से कैमरे और एनवीआर (नेटवर्क वीडियो रिकार्डिंग) खरीदने का फैसला लिया है।