प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज के तौर तरीकों को लेकर अटकलों का बाजार अक्सर गर्म होता है। विवाद को हवा दी जाती है और विपक्ष की ओर से उन्हें डिक्टेटर तक करार दिया जाता है। लेकिन मोदी की राजनीतिक यात्रा में लंबे समय से सहयात्री रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दावा है कि किसी भी काल में कैबिनेट इतनी लोकतांत्रिक नहीं रही होगी, जितनी मोदी काल में है। किसी भी बैठक में वह दूसरों को ज्यादा सुनते हैं और सुझाव की गुणवत्ता के आधार पर उसे मानते भी हैं। सच्चाई यह है कि वह अनुशासन प्रेमी हैं और इसीलिए जानकारी बाहर नहीं आती है तो लोग भ्रम और विवाद फैलाते हैं। लेकिन हर विरोध के साथ प्रधानमंत्री मजबूत होते हैं।
मोदी के पहुंचने के बाद ही बदला था गुजरात भाजपा का भविष्य
अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर शासन के मुखिया के रूप में बीस साल पूरे हुए। जनता के विश्वास का यह बड़ा पैमाना है। लेकिन शाह का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की कर्मठता का फल तो 1987 से ही दिखने लगा था जब वह पहली बार भाजपा में गुजरात के संगठन मंत्री बने थे। उनके आने के बाद से ही भाजपा की नींव मजबूत होनी शुरू हुई। उनके रहते हुए ही 1995 में भाजपा पहली बार पूर्ण बहुमत से गुजरात में सरकार में आई। 2001 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो हालात बहुत अच्छे नहीं थे लेकिन उन्होंने अपनी कर्मठता से हर दिल में जगह बना ली। आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने की कवायद वहीं से शुरू हुई थी जो आज गैस कनेक्शन, आवास, आयुष्मान योजना, स्वच्छता, हर घर नल के माध्यम से देश के करोड़ों लोगों तो पहुंच रही है।
परिवार की राजनीति पर निशाना
संसद टीवी को दिए गए साक्षात्कार में अमित शाह ने कहा कि केंद्रीय राजनीति में कुछ लोगो की मानसिकता रही है कि उनका परिवार ही श्रेष्ठ है, उनका परिवार ही शासन कर सकता है। इसीलिए उन्हें तब परेशानी हुई जब एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई। शाह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री के लिए होता है, अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो उन्हें भी एसपीजी सुरक्षा मिलेगी। हम विपक्ष में होंगे तो आम आदमी की तरह रहेंगे। शाह ने कहा कि कोई भी फैसला वह लेते जरूर हैं लेकिन सबको सुनने के बाद। उन्होंने कहा, कभी-कभी तो हमें भी लगने लगता है कि इतना विचार क्यों, लेकिन वह सुनते हैं।
कांग्रेस की कर्ज माफी पर सवाल
एक अन्य सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि कांग्रेस अभी भी अपनी पीठ थपथपाती है कि 60 हजार करोड़ के किसानों के ऋण माफ कर दिए। लेकिन वह पैसे किसी किसान के पास गए। वह तो बैंक में ही पड़े रहे। जबकि मोदी शासन में अब तक डेढ़ लाख करोड़ किसानों के खाते में जा चुके हैं।
देश हित में लिए जाते हैं फैसले
मोदी सरकार में वही फैसले लिए जाते हैं जो देश के हित में हो। नोटबंदी, जीएसटी, अनुच्छेद 370.। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का शुरू से मंत्र रहा है कि देश बनाने के लिए सरकार चलाना है न कि सरकार चलाने के लिए सरकार बनाना है। कोई नीति चुनाव जीतने के लिए लिहाज से नहीं बनाई जाती है। जबकि कांग्रेस काल में सरकार चलाने के लिए सरकार बनाई जाती थी।
वामदलों के लिए गरीब सत्ता के साधन
उन्होंने वामदलों पर भी प्रहार किया और कहा कि उनके लिए गरीब सत्ता में बने रहने का हथियार थे। वह गरीबों की निराशा को अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करते थे। जबकि भाजपा शासन में गरीबों के उत्थान के लिए काम हो रहा है।
प्रधानमंत्री करते हैं सटीक चुनाव
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की स्मृति बहुत अच्छी है और इसीलिए किसी को भी जिम्मेदारी देने से पहले वह जाहिर तौर पर समीक्षा करते होंगे। सामान्यतया यह देखा गया है कि वह जो भी चुनाव करते हैं वह सटीक होता है।