कोरोना की वैश्विक लड़ाई में कैप्टन संजय के प्रयास सराहनीय रहे हैं। समय पर कोरोना संक्रमित मरीजों के घर ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर पहुंचाकर वह पीड़ित व्यक्ति की जिंदगी की सांसों की डाेर को थामने में मददगार बने हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की हर हाल में मदद करने के संकल्प पर संजय काम कर रहे हैं। वह अपने संसाधनों का उपयोग करके ऐसे मरीजों को राहत पहुंचा रहे हैं।
ताजा कड़ी में पराशर ने देहरा तहसील की खबली में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर भेजा, जहां कोविड-19 मरीज की हालत बिगड़ गई थी। अब मरीज के स्वास्थ्य में सुधार होता दिखाई दे रहा है।दरअसल संजय पराशर कोरोना की दूसरी लहर से लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाते रहे हैं। करोड़ों रूपए की दवाईयां स्वास्थ्य विभाग को सौंपने के बाद उन्हाेंने 37 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर विदेश से आयात करवाए थे। वहीं, पराशर के सेवा भाव को देखते हुए नैशनल यूनियन ऑफ सीफेर्रस आफ इंडिया (नूसी) ने भी दो ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर भेजे।
बड़ी बात यह भी है कि कई मरीजों की सांसों की डोर को थामे रखने में सहायक बने ये आक्सीजन कंस्ट्रेटर अब भी आम जनता के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। तीन मरीजों के घरों में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर रखे हुए हैं तो शेष को जरूरत पड़ने पर दो घंटे के भीतर मरीज के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था पराशर द्वारा की गई है। बुधवार देर शाम को देहरा तहसील के खबली गांव से राम लाल ने संजय को फोन पर बताया कि उनके पिता तेजराम की तबीयत अचानक बिगड़ गई है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत पेश आ रही है। बताया गया कि पति को पिछले महीने को कोरोना संक्रमण हुआ था, जिससे सेहत कमजाेर हो गई। फाेन करने के बाद ठीक दो घंटे के भीतर पराशर की टीम ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर लेकर घर पहुंच गई। मशीन लगने के बाद पाल के ऑक्सीजन लेबल में भी सुधार हुआ और वह पहले से खुद को बेहतर महसूस कर रहे थे।
पत्नी साहनी देवी ने पराशर का आभार जताते हुए कहा कि पराशर के बारे में सुना तो बहुत था, लेकिन जब उनकी टीम ने फोन करने के कुछ समय बाद ही आक्सीजन कंस्ट्रेटर पहुंचा दिया। कहा कि ऐसे सज्जनाें की हमारे समाज को बहुत ज्यादा आवश्यकता है। । उधर, आज रोड़ी-कोड़ी गांव में एक मरीज को संजय की टीम ने व्हील चेयर दी और मरीज का सदस्यों ने मिलकर हाल जाना। वहीं, कैप्टन संजय का कहना था कि कोरोनाकाल के इस नाजुक समय में एक-दूसरे का सहयोग करना हम सबकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्तमान में हर किसी का भी नैतिक दायित्व बनता है कि जरूरतमंदों की सेवा के लिए किसी न किसी रूप में अपना हाथ बढ़ाते रहें। उनकी भी कोशिश रहती है कि फोन आने के तुरंत बाद आक्सीजन कंस्ट्रेटर मरीज के घर तक पहुंचाया जाए और इसके लिए स्पेशल प्रशिक्षित टीम का गठन किया गया है।