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बिहार

बिहार में गंगा आरती के जरिए नई पीढ़ी में जग रहा नदियों के प्रति सम्‍मान, पटना के बाद बक्‍सर और भागलपुर में भी तैयारी

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Ganga Aarati in Bihar: नदियां हमारे लिए केवल जल का स्रोत भर नहीं, बल्‍क‍ि हमारी संस्‍कृत‍ि का एक बेहद महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा हैं। हमारी संस्‍कृति में नदियों को मां के समान मानकर पूजा की जाती है। नदियों के प्रति एक आम भारतीय का मन श्रद्धा से पूरित रहता है। इसके बावजूद नदियां आज संकट में हैं। बदले दौर में लोगों को नदियों के प्रति जागरूक करने के साथ ही नई पीढ़ी को अपनी संस्‍कृति से अवगत कराने और पर्यटन को बढ़ावा देने के बहुआयामी उद्देश्‍यों की पूर्ति में व्‍यापक पैमाने पर समारोहपूर्वक आरती की पहल बेहद महत्‍वपूर्ण साबित हो रही है। राज्‍य में पटना, बक्‍सर और बेगूसराय सहित कई शहरों में वृहद पैमाने पर गंगा आरती आयोजित की जाती है। बिहार की सरकार भी इस आयोजन में मददगार साबित हो रही है। सबसे भव्‍य आरती पटना में आयोजित की जाती है। यहां आरती पर्यटन निगम की ओर से होती है।

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पटना में हर शनिवार और रविवार को होती गंगा आरती

बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (Bihar State Tourism Development Corporation) की ओर से पिछले 10 सालों से हर शनिवार और रविवार को गंगा के गांधी घाट पर गंगा आरती का आयोजन होते आ रहा है। आरती शाम में छह बजे से शुरू की जाती है, जो लगभग एक घंटे तक चलती है। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए आरती में बिना मास्क के किसी भी श्रद्धालु को शामिल नहीं होने दिया जा रहा है। आरती के दौरान कोरोना श्रद्धालुओं से प्रोटोकाल का पालन भी कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण को लेकर डेढ़ साल से पटना में गंगा आरती को बंद कर दिया गया था। कोरोना के मामले घटने के बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया है। आरती के दौरान कोरोना प्रोटोकाल का पालन किया जा रहा है।

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अशोक राजपथ होते हुए पहुंच सकते हैं गांधी घाट

अगर आप गंगा आरती देखने गांधी घाट जाना चाहते हैं तो अशोक राजपथ होते हुए आ सकते हैं। अगर आप गांधी मैदान की ओर से आ रहे हैं तो आपको गांधी मैदान से एनआइटी मोड़ पहुंचना होगा। एनआइटी मोड़ से सीधे एनआइटी कालेज जाना होगा। एनआइटी कालेज के बगल से एक रास्ता गांधी घाट के लिए जाता है। आप इस रास्ते को पकड़कर सीधे एनआइटी घाट तक पहुंच सकते हैं।

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पटना में 2011 में हुई थी गंगा आरती की शुरुआत

25 फरवरी 2011 में पटना के गांधी घाट पर गंगा आरती की शुरुआत की गई थी। उद्घाटन तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और उस समय के पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने किया था। तब से यह परंपरा लगातार चली आ रही है। गंगा आरती के दौरान पटना के घाट पर माहौल पूरी तरह आध्‍यात्‍म‍िक हो जाता है।

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गंगा पूजन से होती है आरती की शुरुआत

गंगा आरती करने वाले मुख्य पुरोहित सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि पांच पुरोहित और पांच सहायक मिलकर गंगा की आरती करते हैं। आरती की शुरुआत गंगा के पूजन से की जाती है। इसके बाद भगवान नारायण का भजन “स्वच्छतम् केशवम कृष्ण दामोदरम” किया जाता है। इसके बाद मां गंगा की आरती शुरू होती है। सत्येंद्र मिश्र कहते हैं कि यहां एक बार में पांच हजार लोग आरती देख सकते हैं। कोरोना काल में 25 सौ से तीन हजार लोग आरती देखने आ रहे हैं। विदेशी पर्यटक भी आरती देखने आते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण अभी विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे हैं। “हर हर महादेव शंभू, काशि विश्वनाथ गंगे” भजन से आरती की समापन होता है।

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बक्‍सर, बेगूसराय और सारण में होती है गंगा आरती

बिहार में गंगा का प्रवेश बक्‍सर के रास्‍ते होता है। बक्‍सर के प्रसिद्ध रामरेखा घाट पर भी भव्‍य गंगा आरती का आयोजन होते रहा है। बक्‍सर के कुछ युवा गंगा स्‍वच्‍छता अभियान भी चलाते हैं और हर हफ्ते में एक दिन इस घाट पर पहुंचकर नदी के किनारों की सफाई करते हैं। इसके अलावा बेगूसराय जिले के सिमरिया घाट पर स्‍थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता से गंगा आरती का भव्‍य आयोजन होता रहा है। राज्‍य के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने पिछले दिनों घोषणा की कि जल्‍द ही पटना की तर्ज पर सोनपुर में भी गंगा आरती का आयोजन होगा। इसके साथ ही इस मुहिम को बक्‍सर और भागलपुर तक विस्‍तार दिया जाएगा। यूं तो गंगा किनारे के कई शहरों में स्‍थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पहले से ही ऐसे आयोजन करने लगे हैं।

गया और गोपालगंज में भी होती है नदियों की आरती

हाल के दिनों में गोपालगंज में गंगा आरती की शुरुआत की गई। जिले के डुमरियाघाट स्थित नारायणी रिवर फ्रंट पर भव्‍य आयोजन को देखकर लोगों को वाराणसी की गंगा आरती की याद आ गई। इसके अलावा गया में भी नियमित तौर पर फल्‍गु आरती का आयोजन होता है।

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