नई दिल्ली, राजीव कुमार। भारत ने वर्ष 2030 तक नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता का लक्ष्य 450 गीगावाट (4.50 लाख मेगावाट) का रखा है और इनमें से 280 गीगावाट (2.80 लाख मेगावाट) की हिस्सेदारी सोलर ऊर्जा की होगी। सिर्फ सोलर ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले नौ साल तक प्रत्येक वर्ष 1.19 लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। हालांकि इतने बड़े पैमाने पर सोलर उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में सोलर पैनल और इनसे जुड़े अन्य प्रकार के आइटम की उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर भारत को भारी मात्रा में आयात करना होगा।
नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा (एमएनआरई) मंत्रालय के मुताबिक अभी देश में सोलर बिजली उत्पादन क्षमता 40.5 हजार मेगावाट की है और 2030 तक 2.80 लाख मेगावाट के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सोलर क्षमता में हर साल लगभग 26,600 मेगावाट का विस्तार करना होगा। सोलर पावर के एक मेगावाट की स्थापना में 4.5 करोड़ रुपये की लागत आती है। इस प्रकार हर साल 26.6 हजार मेगावाट की स्थापना के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।
भारत सोलर बिजली उत्पादन के इस मेगा लक्ष्य को हासिल करने के लिए सोलर से जुड़े मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) की घोषणा कर चुका है। हालांकि, पीएलआइ के तहत तेजी से मैन्यूफैक्चरिंग शुरू नहीं होने पर सोलर उत्पादन क्षमता में विस्तार के लिए भारत को भारी मात्रा में आयात करना होगा। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक भारत के पास जहां सालाना 3000 मेगावाट के फोटोवोल्टिक सेल बनाने की क्षमता है तो वहीं 10-15 हजार तक पीवी मोड्यूल बनाने की है। वहीं सिर्फ 5000 मेगावाट के लिए सोलर इन्वर्टर देश में बनाए जा सकते है। सोलर बिजली उत्पादन से जुड़े पालीसिलिकान, वेफर जैसे कल-पुर्जो का उत्पादन भारत में होता ही नहीं है। वित्त वर्ष 2019-20 में 2.5 अरब डालर मूल्य के सोलर वेफर्स, सेल्स मोड्यूल्स और इन्वर्टर का आयात किया गया था।
सोलर उत्पादन में 2022 के लक्ष्य से पीछे
एमएनआरई मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक 1.75 लाख मेगावाट नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। इनमें एक लाख मेगावाट की हिस्सेदारी सोलर पावर की थी। हालांकि सोलर उत्पादन क्षमता की स्थापना की अब तक की प्रगति को देखकर अगले साल तक सोलर उत्पादन क्षमता को एक लाख मेगावाट तक ले जाना आसान नहीं दिख रहा है।
इस साल अगस्त तक सोलर बिजली उत्पादन की क्षमता 40.5 हजार मेगावाट तक ही पहुंच पाई है। अगले एक साल में लगभग 60 हजार मेगावाट क्षमता की स्थापना करनी होगी। मंत्रालय का दावा है कि सोलर उत्पादन से जुड़ी लगभग 36.50 हजार मेगावाट की निविदाएं अंतिम अवस्था में हैं और 18 हजार से अधिक के लिए निविदाएं जारी कर दी गई हैं।