नई दिल्ली [संजय सलिल]। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (Delhi Metro Rail Corporation) के साथ दिल्ली-एनसीआर के लाखों यात्रियों का क्या रिश्ता है? इसका खुलासा हो गया है। दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने आखिरकार मान लिया है कि डीएमआरसी द्वारा संचालित ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री उपभोक्ता (Consumers) की श्रेणी में आते हैं। इसके पूर्व इस मामले में दिल्ली मेट्रो ने अलग-अलग जवाब देकर यात्रियों को उपभोक्ता मानने से इनकार किया था। दिल्ली के कादीपुर के रहने वाले हरपाल ने इसके लिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली मेट्रो रेल निगम को तकरीबन 200 पत्र लिखा था, इसके अलावा, सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी मांगी थी कि डीएमआरसी आखिर अपने यात्रियों को क्या मानता है?
दरअसल, देश-दुनिया में रेलवे समेत किसी भी परिवहन सेवा का इस्तेमाल करने के दौरान टायलेट और पानी पीने की सुविधा का ख्याल रखा जाता है, लेकिन दिल्ली मेट्रो में इस तरह की कोई सुविधा नहीं मुहैया कराई जाती है। इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है। बता दें कि रेल सेवा और बस सेवा समेत कई सेवाएं उपभोक्ता की श्रेणी में आती है। यही वजह है कि जयपुर, मुंबई, लखनऊ आदि मेट्रो सेवा उपभोक्ता की श्रेणी के तहत पानी, शौचालय आदि अनेकों प्रकार की सुविधाएं निशुल्क दी जाती है। बावजूद इसके दिल्ली मेट्रो के लाखों उपभोक्ता इन सेवाओं से महरूम हैं।
दिल्ली मेट्रो के तर्क
- जिन मेट्रो स्टेशनों पर मुफ्त में पानी नहीं मिलता है वहां सभी स्टेशनों के कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि वे यात्री द्वारा मांगने पर पानी मुफ्त में दें।
- पीतमपुरा, रोहिणी पूर्व, रोहिणी पश्चिम और रिठाला मेट्रो स्टेशन पर संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत पीने के पानी की सुविधा है।
- दिल्ली एयरोसिटी के अलावा एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन पर भी मुफ्त पेयजल सुविधा मिली हुई है।
2 साल बाद पलट गया था डीएमआरसी
16 दिसंबर 2015 में डीएमआरसी की ओर से कहा गया था कि दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता श्रेणी मे आएगी। फिर 24 अप्रैल 2018 को अपने पहले जवाब से पलटते हुए कहा कि मेट्रो उपभोक्ता श्रेणी रखना विधायिका के क्षेत्र मे निहित है इस लिए स्वयं डीएमआरसी कुछ नहीं कर सकती। वहीं, 3 मई 2019 को लिखित में दिया कि दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(डी) के तहत साफ बताया गया है की उक्त अधिनियम के तहत विशेष श्रेणी सेवा को उपभोक्ता घोषित करने का प्रावधान नहीं करता है।
दिल्ली हाई कोर्ट से डीएमआरसी से सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछ चुका है कि क्या वह पानी और टायलेट की सुविधा मुहैया नहीं कराने की नीति पश्चिमी देशों से लेकर आए हैं? यहां ट्रैफिक का हाल देखिए। करोड़ों लोग मेट्रो में सफर करते हैं और यदि किसी को मेडिकल समस्या हो जाए, तो क्या होगा? वह कहां जाएगा? वह जब तक स्टेशन से बाहर आएगा, तब तक काफी देर हो चुकी होगी। इस नीति के पीछे कौन-सी सोच है?’
सभी जगहों पर होते हैं टायलेट
दिल्ली हाई कोर्ट ने सवालिया लहजे में पूछा था कि दुनिया में कहीं भी चले जाओ, मेट्रो स्टेशनों पर टायलेट उपलब्ध होते हैं। लंदन में ट्रैफिक उतना ज्यादा नहीं है, जितना हमारे यहां है।