चेन्नई (आईएएनएस)। चेन्नई में भारी बारिश के चलते हालात काफी खराब हो चुके हैं। कई घरों में गंदा पानी घुस गया है और कई चीजों की किल्लत महसूस की जाने लगी है। गर्मियों में भी चेन्नई में बारिश की वजह से हालात काफी खराब हो गए थे। बता दें कि साल दर साल बारिश की वजह से यहां पर एक जैसे ही हालात देखे जा रहे हैं। पानी की किल्लत की वजह से कई जगहों पर पानी के लिए मारा-मारी और पानी लेने के लिए अपने रंग-बिरंगे बर्तनों के साथ लाइनों में खड़ी औरतें देखी गई थीं। अब भी हालात काफी कुछ वही होते जा रहे हैं। लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
सुधरनी, जो कि एक साफ्टवेयर प्रोफेशनल हैं और एक एमएनसी में काम करती हैं ने एआईएनएस को बताया कि वो टीनगर में रहती हैं और ओएमआर में काम करती हैं। बीते एक सप्ताह से उनका परिवार पानी की समस्या से जूझ रहा है। जबरदस्त बारिश के बाद सीवर का गंदा पानी घर में घुसने से हालात और अधिक खराब हो गए हैं। वहीं पानी के अलावा बिजली भी एक बड़ी समस्या बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि खराब प्लानिंग और कांट्रेक्टर-ब्यूरोक्रेट्स के गठजोड़ ने समस्याओं को और अधिक गंभीर बना दिया है।
उन्होंने ये भी बताया कि जिस तरह से पानी की अब समस्या दिखाई दे रही है, वैसी ही समस्या गर्मियों में भी दिखाई दी थी और पानी के नलों के पास लंबी लाइनें लग गई थीं। पानी के लिए कोई बाल्टी तो कोई घड़ा या दूसरा बर्तन लेकर इधर-उधर भटकता दिखाई दे रहा था। वर्ष 2015 में तो हालात बेहद खराब थे। उस वक्त बारिश और बाढ़ की वजह से 400 से अधिक लोगों की जान तक चली गई थी। कई मकान ध्वस्त हो गए थे और सैकड़ों गाडि़यां पानी में डूब गई थीं। उस वक्त चेन्नई की पानी में डूबी सड़कों पर आने जाने के लिए नावों का इस्तेमाल किया जा रहा था। हालांकि, उस दिल दहला देने वाले मंजर के बाद भी हमारे नेताओं और सरकारों ने कुछ सबक नहीं लिया।
बदलते मौसम और धरती के गर्म होते तापमान की वजह से लगातार मौसमी बदलाव देखे जा रहे हैं। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफानों की वजह से हालात खराब हो रहे हैं। चेन्नई की अधिकतर सड़कें बाढ़ और बारिश की वजह से खराब हो चुकी हैं। प्लानिंग कमीशन ने यहां के ड्रेनेज सिस्टम को दोबारा बनाने की सलाह दी है जो करीब पांच हजार किमी लंबी थी। लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ। योजना थी कि इस ड्रेनेज सिस्टम के बनने से जलजमाव की दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन कुछ न होने की वजह से मौजूदा हालात सभी के सामने हैं।
1894 किमी लंबे गंदे पानी की निकासी के लिए मौजूद पाइप लाइंस प्लास्टिक और दूसरी तरह के कचरे से भरी पड़ी है। यहां की दो ताजे पानी की नदियां कोऊम और आद्यार में भी इसी तरह का कचरा भरा पड़ा है। कोई भी इसको साफ करने के बारे में नहीं सोच रहा है और गंदा पानी लगातार इसमें जा रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने भी यहां की स्थिति के ऊपर गंभीर चिंता जताते हुए यहां पल्लीकर्णी मार्शलैंड को रामसर साइट में तब्दील करने के लिए आदेश दिया हुआ है