मनाली,जागरण संवाददाता। प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पारा शून्य के नीचे चला गया है। हालांकि अक्टूबर 30 के बाद प्रदेश की ऊंची चोटियों में बर्फ़बारी नहीं हुई है लेकिन शुष्क ठंड ने प्रदेश वासियों की दिक्कत को बढ़ाया है। सितंबर के अंतिम सप्ताह में ही बर्फबारी का क्रम शुरू हो गया था उससे लग रहा था कि सर्दियों का जल्द आगाज हो जाएगा लेकिन अक्टूबर के बाद घाटी से बर्फ ऐसा रूठा की नवंबर में एक भी दिन बर्फ के फाहे नहीं गिरे।
बिना बर्फबारी के तापमान में गिरावट के कारण लाहुल-स्पीति सहित कुल्लू, किन्नौर और जिलों की 12 से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सभी झीलें व झरने जमने लगे हैं। देश व दुनिया के ट्रैकरों की पहली पसंद 14190 फीट ऊंची चंद्रताल झील सैलानियों के लिए पहले ही बंद कर दी है। सैलानी इस झील के दीदार अब अगले साल ही कर सकेंगे। शीत मरुस्थल लाहौल घाटी की 14091 फीट ऊंची ढंखर झील सहित लेह मार्ग पर स्थित 15840 फुट ऊंची सूरजताल झील और पट्टन घाटी की 14000 हजार फीट ऊंची नीलकंठ झील भी तापमान लुढ़कने से जमने लगी है।
अटल टनल बनने से इस बार नवम्बर महीने में वाहनों की आवाजाही अभी तक सुचारू चल रही है। बीआरओ द्वारा बारालाचा दर्रे में बर्फ व पानी जमने की जानकारी देने के बाद लाहुल स्पीति प्रशासन ने खतरे को देखते हुए दो नवम्बर को ही मनाली लेह मार्ग सभी वाहनों के लिए बंद कर दिया था। रोहतांग के इस ओर जिला कुल्लू के रोहतांग दर्रे के समीप 14290 फुट दशोहर झील, 14100 फुट ऊंची भृगु झील भी जम गई हैं। हालांकि पिछले साल की तुलना में पहाड़ों पर इस बार नाममात्र बर्फ गिरी है, लेकिन तापमान लुढ़कने से झीलें जमने लगी हैं।
अटल टनल बनने से नवंबर में भी लाहुल घाटी पर्यटकों से चहकी हुई है। हालांकि पर्यटकों को बर्फ के दीदार नहीं हो रहे हैं लेकिन पर्यटक अटल टनल के नार्थ पोर्टल से होते हुए कोकसर पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर एसपी लाहुल स्पीति मानव वर्मा ने कहा कि पारा लुढ़कने से पानी जम रहा है जिससे सुबह शाम वाहन चलाना जोखिम भरा हो गया है। उन्होंने वाहन चालकों को हिदायत दी कि सभी दिन के समय ही वाहन चलाएं तथा सुबह शाम वाहन चलाने से बचें। एसडीएम मनाली डॉक्टर सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि पारा लुढ़कने से पहाड़ों में झीलें, झरने व नाले जमने लगे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेकिंग पर पहले भी प्रतिबंध लगा दिया था। पर्यटकों से आग्रह है कि वो अब पहाड़ों का रूख न करें।