EPFO Pension: अगर आप रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन का विकल्प पाना चाहते हैं तो इन सरकारी स्कीम को पूरा पढ़िए. जानिए क्या है नियम और शर्तें
EPFO Pension: कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) को देश में 16 नवंबर 1995 को शुरू किया गया था. इस योजना में कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों के सभी कर्मचारियों को शामिल किया गया है. इस योजना के तहत कर्मचारी के वेतन के 8.33 प्रतिशत का योगदान का एक हिस्सा नियोक्ता द्वारा कर्मचारी पेंशन कोष में 15 दिनों के भीतर भेजा जाता है.
सरकार भी कर्मचारी पेंशन योजना के तहत सदस्यों के वेतन के 1.16 प्रतिशत की दर से अंशदान करती है, जो सीधे कर्मचारियों के खाते में जमा की जाती है. उदाहरण के तौर पर यदि सदस्य का वेतन 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक है, तो नियोक्ता और केंद्र सरकार द्वारा देय योगदान केवल उसके 15,000 रुपये के वेतन पर देय राशि तक सीमित रहेगा.
ये हैं पात्र
- EPS 95 पेंशन के तहत पेंशन के लिए कर्मचारी के लिए 10 साल की नौकरी जरूरी
- रिटायरमेंट की आयु 58 वर्ष है
- 50 वर्ष की आयु से कम पर भी EPS निकाला जा सकता है
- यदि कर्मचारी ने 10 साल से कम की नौकरी की है. लेकिन 6 महीने से अधिक की सेवा के बाद, वह दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहने पर ईपीएस राशि निकाल सकता है
- यदि कर्मचारी पूरी तरह से नौकरी में असमर्थ है, तो वह मासिक पेंशन का हकदार है, इसके बावजूद कि उसने पेंशन योग्य सेवा अवधि पूरी नहीं की है और अपने जीवनकाल के लिए देय है
- सेवा के दौरान सदस्य की मृत्यु पर एक सदस्य का परिवार भी पेंशन लाभ के लिए पात्र
योजना के फायदे
- इसके तहत कोई परिवार नहीं होने पर सदस्य की मृत्यु के बाद भुगतान, नामित किए गए व्यक्ति को पूरे जीवन के लिए पेंशन दी जाती है
- सदस्य की मृत्यु पर आश्रित पिता/माता को भुगतान की जाने वाली मासिक विधवा पेंशन के बराबर होती है
- ये पेंशन आजीवन दी जाती है बशर्ते सदस्य का कोई परिवार या नामित व्यक्ति न हो