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अब तक 29 देशों में पहुंचा कोरोना का ओमिक्रोन वैरिएंट, जानें इस स्‍ट्रेन के बारे में क्‍या है विशेषज्ञों की राय

covid

नई दिल्ली, एजेंसियां। दुनियाभर में हड़कंप मचाए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने भारत में दस्तक दे दी है। कर्नाटक में इसके दो मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को देश में कोरोना की स्थिति पर अपनी दैनिक ब्रीफिंग में इसकी जानकारी दी। मंत्रालय के अनुसार कोरोना के इस नए वैरिएंट के लगभग 29 देशों में 373 मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसको वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया है। 

बता दें कि कोरोना के इस नए वैरिएंट (बी 1.1.529) की जानकारी पहली बार 25 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को मिली थी। संगठन के अनुसार वैरिएंट के पहले केस की पुष्टि 9 नवंबर को हुई थी। 26 नवंबर को डब्ल्यूएचओ ने इसे ओमिक्रोन नाम दिया। जानकारी के अनुसार आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, बेल्जियम, बोत्सवाना, ब्राजील, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, इजरायल, इटली, जापान, नीदरलैंड, नाइजीरिया, नार्वे, पुर्तगाल,सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन, अमेरिका और भारत में इसके मामले सामने आए हैं। 

दक्षिण अफ्रीका में एक ही दिन में मामले दोगुने हुए

कोरोना के इस नए वैरिएंट को रोकने के लिए तमाम देश कड़ी पाबंदियां लगा रहे हैं। इस म्युटेशन के सामने आने के बाद अफ्रीकी देशों पर भारत समेत दुनिया के तमाम देशों ने यात्रा को लेकर कड़ी पाबंदियां लगा दी हैं। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए मामले एक ही दिन में लगभग दोगुना होकर लगभग 8,600 हो गए। अधिकारियों ने बुधवार को इसकी सूचना दी। देश के नेशनल इंस्टीट्यूट फार कम्युनिकेबल डिजीज ने कहा कि जिनोम सिक्वेंसिंग में डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रोन वैरिएंट के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। इस वैरिएंट को लेकर कई सवाल हैं, जिनके जवाब तलाशे जा रहे हैं। क्या यह वैरिएंट अन्य वैरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक है? क्या यह लोगों को अधिक गंभीर रूप से बीमार बनाता है? क्या इस वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन कारगर हैं? ऐसे तमाम सवाल है जिनके बारे में पता लगाने की कोशिश हो रही है।

कम हो सकता है टीके का प्रभाव :  गुलेरिया

कोरोना के इस वैरिएंट को लेकर एम्स दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि यह टीके के प्रभाव को कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्पाइक प्रोटिन में 30 से ज्यादा म्यूटेशन होने के कारण यह टीके को चकमा दे सकता है। अधिकतर टीके स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबाडी बनाकर काम करते हैं। ऐसे में टीकों का प्रभाव कम हो सकता है।

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