जिला ऊना में सर्दी का प्रकोप बढ़ने लगा है। ठंड के कारण लोग कंपकपाने के लिए मजबूर हो गए हैं। ऊना में बुधवार को अधिकतम तापमान 20.7 डिग्री सेल्सियस रहा। इस बार 11 साल के दौरान पहली दिसंबर को बुधवार का दिन सबसे ठंडा दर्ज हुआ जो औसतन पांच डिग्री सेल्सियस कम है। ऊना जिला में बुधवार को न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
जिला में वर्ष 2016 में पहली दिसंबर का दिन सबसे ज्यादा गर्म 27.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इससे पहले वर्ष 2012 में पहली दिसंबर सबसे ठंडा दिन रहा था। उस दौरान अधिकतम तापमान 23.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था। बुधवार को पूरा दिन छाए बादलों ने धूप का रास्ता रोके रखा। हालांकि बादलों से छनकर हल्की तपिश कुछ देर जरूर मिली लेकिन फिर पूरा दिन मौसम लोगों की परीक्षा लेता रहा। मौसम में बढ़ी नमी व सर्द हवा की मार से हर कोई परेशान है। बाजार में ठंड की वजह से पूरा दिन सन्नाटा रहा। कई स्थानों पर दुकानदार अलाव जलाकर सर्दी से निजात पाते नजर आए। ज्यादातर लोग ठंड के कारण घरों में रहे। जरूरी काम होने पर ही लोग घरों से निकले।
सितम ढाने में कसर नहीं छोड़ रही ठंड
ऊना में बुधवार को बाजार और कार्यालयों में लोगों को कहते सुना गया कि ठंड सितम ढाने में कसर नहीं छोड़ रही है। तड़के खेतों में गए किसान शाम को घर लौटने पर यह कहना नहीं भूले कि पाला पड़ा है। ठंड के कारण सुबह और शाम बच्चों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। घरों में महिलाओं को बच्चों को यह कहते सुना गया कि बाहर मत निकलो, ठंड बहुत है। ठंड लग गई तो फिर बीमार हो जाओगे।
बेसहारा पशु भी मुश्किल में
ठंड से इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी मुश्किल में नजर आए। सड़कों और जंगल में सुबह और शाम बेसहारा पशु कांपते दिखे। बागपत नगर में कई बेसहारा गौवंश को अलाव के पास खड़े देखा गया। कुत्तों के पिल्ले भी आपस में जुड़कर सर्दी से बचते दिखे।
दो-तीन दिन रहेगा सर्दी का प्रकोप
मौसम समन्वयक विनोद कुमार ने बताया कि अभी दो से तीन दिन सर्दी का प्रकोप रहने का अनुमान है। दिन के तापमान में आने वाले दिनों में और कमी होने की संभावना है।
एक दिसंबर को अधिकतम तापमान
वर्ष,तापमान
2011,24.0
2012,23.8
2013,26.0
2014,27.2
2015,26.3
2016,27.8
2017,26.4
2018,26.0
2019,24.4
2020,26.7
2021,20.7
(तापमान डिग्री सेल्सियस में)
सर्दी की दस्तक से अस्पतालों में बढ़े मरीज
सर्दी की दस्तक से दिनोंदिन लुढ़कते तापमान ने ऊना जिला में अस्पतालों और निजी क्लीनिक में मरीजों की संख्या बढ़ी है। ऊना के सरकारी अस्पताल में भी ओपीडी में बढ़ोतरी हुई है। मंगलवार को सरकारी अस्पताल में 570 ओपीडी थी जो बुधवार को 620 पहुंच गई। सर्दी, जुकाम व बुखार से पीडि़त मरीज 25 फीसद तक बढ़ गए। कुछ ऐसे भी मरीज हैं जो मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदकर मर्ज दूर करने में लगे हैं।
मौसम में आए परिवर्तन के साथ ही बीमारियों का प्रकोप दिखना शुरू हो गया है। कोरोना संक्रमण के मामले रह रहकर नजर आने लगे हैं। वहीं, इसके लक्षणों में शामिल खांसी, जुकाम, बुखार से लोगों को कोरोना का भी डर सता रहा है। कुछ लोग तो संक्रमण की जांच करवा रहे हैं। कुछ लोग जांच करवाने से अब भी कतरा रहे हैं। बुधवार को क्षेत्रीय अस्पताल ऊना की ओपीडी में इलाज के लिए करीब 620 से अधिक लोग पहुंचे। इनमें सर्दी, जुकाम, खांसी और वायरल बुखार के मरीज शामिल हैं। मौसमी बीमारियों के बीच बड़ों के साथ मरीजों में बच्चे भी शामिल हैं जो सर्दी, खांसी, बुखार, गले में जकड़न की शिकायत लेकर चिकित्सक के पास आ रहे हैं।
स्वस्थ रहना है तो भरपूर खाना खाएं, फास्ट फूड छोड़ गुनगुना पानी पीएं
चिकित्सकों की सलाह पर ध्यान दें तो मौसमी बीमारियों के प्रकोप से बचा जा सकता है। ऊना जिला के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. राजेश ने बताया कि सर्दी में मौसम जनित बीमारियों से बचाव के लिए सावधानी बरतें। सर्दी, खांसी व वायरल फीवर के प्रकोप से बचाव के लिए भरपूर खाना खाएं। उन्होंने बताया कि स्वस्थ रहने के लिए गुनगुना पानी पीने के अलावा गर्म कपड़े पहनें। सुबह व शाम की ठंड से बचने के लिए ठंडी वस्तुओं का सेवन न करें। सर्दी-जुकाम होने पर चिकित्सक की सलाह लें। ठंड में कमर और जोड़ों के दर्द के मरीज खास ख्याल रखें। फास्ट फूड का सेवन न करें क्योंकि इसमें फैट और कार्बोहाइड्रेट अधिक होता है। इससे मोटापा बढ़ता है। इस वजह से शरीर में आलस्य आता है। स्फूर्ति न होने से शरीर के सभी जोड़ों की हलचल कम होने से जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।
जितना तापमान गिरेगा, उतनी ही तकलीफ बढ़ेगी। जोड़ों में लगातार मूवमेंट ओर योगाभ्यास करते रहें। हल्के हाथ से दर्द निवारक दवा लगाकार मालिश करें। दर्द वाले स्थान को बांधकर रखें जिससे जोड़ों में गर्माहट बनी रहे। जोड़ों के दर्द वाले मरीजों में सर्दियों के मौसम में कई बार देखने में आता है कि ग्रीस कम हो जाती है। ग्रीस कम होने का मतलब है कि साइनोबिल फ्लूड कम होना, इसलिए मूवमेंट बनाएं रखें। वहीं, उम्र अधिक होने से ओस्ट्रियोफाइड बढ़ जाता है। इसलिए मूवमेंट करें और खानपान के अलावा गुनगुना दूध पीयें। हड्डियों की कमजोरी को दूर करने के लिए सबसे उपयुक्त धूप है। धूप विटामिन डी का प्राकृतिक स्रोत है। इसलिए लोग नियमित तौर पर कम से आधा घंटा धूप लें। बेशक कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज क्यों न लग गई हों मगर मास्क का प्रयोग जरूर करें।