पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा प्रखंड। पहाड़ी इलाका। यहीं रहते हैं मोहन हांसदा। मजदूरी करते हैं। पीने के पानी के लिए रोज सुबह घर से दो किमी दूर पहाड़ी झरने पर जाते हंै। वहां से पानी लाते हैं। तब उनकी दिनचर्या शुरू हो पाती है। सिर्फ मोहन ही नहीं जिले के एक लाख लोगों को पानी की व्यवस्था में ऐसी ही दुश्वारियों से रोज दो चार होना होता है। इंसान चांद पर जा रहा, मगर पाकुड़ में पीने का शुद्ध पानी भी मयस्सर नहीं। यहां के लोग नदी या चुआड़ (पहाड़ में गड्ढा खोदने से उसमें आया पानी) का पानी पानी पीने को विवश हैं। जिले में जल जीवन मिशन की स्थिति दयनीय है। इस योजना के क्रियान्वयन में पाकुड़ देशभर में फिसड्डी है। हाल में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने भी इसका उल्लेख किया है। अब तक 8347 घरों में नल से जल पहुंच सका है, जबकि 2024 तक 2.18 लाख घरों तक पानी पहुंचाना है।
डीपीआर को अब तक नहीं मिली स्वीकृति
पाकुड़ मेगा जलापूर्ति योजना के तहत 1.65 लाख घरों में जलापूर्ति करनी है। तीन साल में पूरी होने वाली इस योजना के लिए सरकार ने डीपीआर को ही स्वीकृति नहीं दी है। स्वीकृति मिलने पर टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। जिले के चार प्रखंडों के 64 स्थानों पर जल मीनार के लिए सितंबर में जमीन अधिग्रहण संबंधी एनओसी पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल को मिला है। जल जीवन मिशन योजना के तहत अमड़ापाड़ा प्रखंड के 14,400 घरों में डीप बोङ्क्षरग एवं सोलर पंप से भी जलापूर्ति होनी है, मगर अभी तक इस दिशा में काम शुरू नहीं हुआ है। नतीजा लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, अमड़पाड़ा व पाकुडिय़ा के लोगों को रोज पानी के लिए घर से दूर जाना होता है।
2024 तक दो लाख घरों में पहुंचाना है पानी
जल जीवन मिशन से 2024 तक जिले के दो लाख 18 हजार 35 ग्रामीण परिवारों तक नल से जल उपलब्ध कराना है। पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए तीन प्रकार की योजनाओं पर काम कर रहा है। इसके तहत लिट्टीपाड़ा प्रखंड में 217 करोड़ रुपये की लागत पर बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना चल रही है। प्रखंड के 267 गांवों के 23800 परिवारों को नल जल देना है। छह जोन में से तीन जोन में अब तक काम हुआ है। दूसरी पाकुड़ मेगा जलापूर्ति योजना है। इसके तहत पाकुड़, महेशपुर, हिरणपुर और पाकुडिय़ा प्रखंड के एक लाख 65 हजार परिवार को पेयजल के रूप में गंगाजल पहुंचाने की योजना है। केंद्र सरकार ने इस योजना की स्वीकृति कई वर्ष पूर्व दी थी, मगर योजना की 12 करोड़ की डीपीआर हाल में तैयार हुई है। डीपीआर की स्वीकृति मिलने पर टेंडर निकाला जाएगा। टेंडर के बाद योजना का काम तीन साल में पूरा किया जाना है। जल जीवन मिशन की तीसरी योजना ङ्क्षसगल विलेज स्कीम है। इसमें अमड़ापाड़ा प्रखंड के 14,400 परिवार को नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल देना है। इस योजना का टेंडर इसी माह निकाला जाएगा।
पहले से जो योजनाएं जिले में चल रही हैं, उनमें पाकुड़ की स्थिति बेहतर है। जो योजना धरातल पर अब तक नहीं उतर सकीं, वे विलंब से मिलीं हैं। इसलिए लक्ष्य प्राप्ति में दिक्कत हुई है। जल्द ही निर्धारित लक्ष्य पाकर हम लोगों को जल पहुंचा देंगे।