अहमदाबाद, पीटीआइ। जाने-माने अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि भारत के लोग ‘काफी मुश्किलें’ झेल रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था अब भी 2019 के स्तर से नीचे है। शनिवार रात अहमदाबाद विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह को अमेरिका से वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की इस स्थिति की वजह से लोगों की ‘छोटी आकांक्षाएं’ और छोटी होती जा रही हैं। उन्होंने हालिया बंगाल यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘आप ऐसे स्थान पर हैं जहां आप वापस दे सकते हैं। समाज को इसकी जरूरत है। हम भारत में काफी ‘परेशानी’ की स्थिति में हैं। मैं थोड़े वक्त बंगाल के ग्रामीण इलाके में रहा। लोगों की उम्मीदें टूट चुकी हैं। छोटी-छोटी उम्मीदें भी पूरी होते नहीं दिख रही हैं।’
उन्होंने कहा, ‘देश की अर्थव्यवस्था अब भी 2019 के स्तर से नीचे है। यह कितनी नीचे है, यह तो हम नहीं जानते हैं, लेकिन यह काफी निचले स्तर पर है। मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रहा, सिर्फ अपनी बात कह रहा हूं।’ उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने करियर का चुनाव करते समय परिवार और समाज के दबाव में नहीं आएं। करियर चुनने के संबंध में उन्होंने दो बड़े फिल्मकार सत्यजित रे और श्याम बेनेगल का उदाहरण किया। उन्होंने कहा कि दोनों ही अर्थशास्त्र में स्नातक किया, लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।
उन्होंने बताया कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान उन्हें छात्र आंदोलन के चलते 10 दिन तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। जब वह तिहाड़ जेल से बाहर आए, तो बड़े-बुजुर्गों ने कहा कि उनका करियर चौपट हो जाएगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय या अमेरिका उन्हें अपने यहां नहीं आने देंगे।