नई दिल्ली, पीटीआइ। आइपीओ आने से पहले देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआइसी की वित्तीय स्थिति में सुधार दिख रहा है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में 4,51,303.30 करोड़ रुपये के कुल पोर्टफोलियो में एनपीए 35,129.89 करोड़ रुपये रहा। एलआइसी का सकल एनपीए 7.78 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 0.05 प्रतिशत रहा। वित्त वर्ष 2019-20 में कुल डेट पोर्टफोलियो के मुकाबले सकल एनपीए 8.17 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 0.79 प्रतिशत था। वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में कंपनी का आइपीओ प्रस्तावित है।
एलआइसी ने बताया कि भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के दिशानिर्देशों के अनुरूप उसने एनपीए के लिए 34,934.97 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान भी किए हुए हैं।
आइपीओ आने के बाद शुरुआती पांच वर्षो में सरकार एलआइसी में 75 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखेगी और फिर लिस्टिंग के पांच साल के बाद इसे कम करके 51 प्रतिशत करेगी। अभी सरकार के पास कंपनी की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कंपनी ने आइपीओ के 10 प्रतिशत हिस्से को पालिसीधारकों के लिए आरक्षित किया है। सूचीबद्ध होने के बाद एलआइसी देश की सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक यह आठ से दस लाख करोड़ रुपये की मार्केट कैप के साथ सूचीबद्ध हो सकती है।
LIC विज्ञापन जारी कर अपने पॉलिसीधारकों से परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) अपडेट करने को कह रही है क्योंकि यह प्रस्तावित IPO में हिस्सेदारी के लिए KYC के लिहाज से महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि एलआईसी के आईपीओ को अभी नियामकीय मंजूरी नहीं मिली है।
डीमैट अकाउंट के संदर्भ में एलआईसी ने अपने बयान में कहा है कि अगर पॉलिसीधारक के पास अभी डीमैट खाता नहीं है तो उन्हें खुलवा लेना चाहिए। LIC ने कहा है कि डीमैट अकाउंट पॉलिसीधारकों को खुद ही खुलवाना होगा, इसके किसी भी तरह के शुल्क की जिम्मेदारी निगम की नहीं होगी।