मुंबई, पीटीआइ। अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत और कोरोना के नए वैरिएंट की आहट के बीच सोमवार से रिजर्व बैंक (RBI) की मानिटरी पालिसी कमेटी (MPC) की बैठक शुरू हो रही है। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए रिजर्व बैंक प्रमुख दरों को स्थिर रख सकता है। उनका मानना है कि ये बैठक ओमिक्रोन को लेकर आशंकाओं के बीच हो रही है और अर्थव्यवस्था अभी भी पूरी तरह से कोरोना के असर से बाहर नहीं निकली है, ऐसे में रिजर्व बैंक ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहेगा, जिससे सेंटीमेंट पर असर पड़े। बता दें कि यह बैठक सोमवार यानी 6 दिसंबर से बुधवार तक चलेगी और इसमें लिए गए फैसलों की घोषणा आखिरी दिन की जाएगी।
कोटक इकोनामिक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक दरों में बढ़ोतरी से पहले अर्थव्यवस्था को लेकर और साफ तस्वीर का इतंजार कर सकता है। उसने रिवर्स रेपो रेट में भी किसी तरह की वृद्धि नहीं होने की बात कही है। उसका मानना है कि फरवरी की बैठक में रिवर्स रेपो रेट पर फैसला हो सकता है।
वहीं, प्रापर्टी कंसल्टेंट एनाराक के चेयरमैन अनुज पुरी भी दरों में स्थिरता का अनुमान लगा रहे हैं। उनके मुताबिक सस्ते होम लोन का दौर अभी कुछ समय और चल सकता है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि रेपो रेट में बढ़ोतरी होना तय है और सस्ते लोन का दौर ज्यादा समय तक जारी नहीं रखा जा सकता। अगर दिसंबर में भी रिजर्व बैंक प्रमुख दरों को स्थिर रखता है तो ये लगातार नौवीं समीक्षा बैठक होगी जब दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
रेपो दरें अप्रैल 2001 के बाद से सबसे निचले स्तर चार प्रतिशत पर हैं और रिवर्स रेपो दरें 3.35 प्रतिशत हैं। रिवर्स रेपो उसे कहते हैं, जिसके तहत बैंक अपनी ज्यादा नकदी को रिजर्व बैंक के पास जमा कराते हैं। इस पर रिजर्व बैंक उन्हें ब्याज देता है। रेपो रेट उसे कहते हैं जिस दर पर रिजर्व बैंक से दूसरे बैंक कर्ज लेते हैं।
स्टेट बैंक ने रिवर्स रेपो दर नहीं बढ़ाने का आग्रह किया
स्टेट बैंक ने रिजर्व बैंक से रिवर्स रेपो दरों को नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है। उसने कहा है कि अगर केंद्रीय बैंक ऐसा करता है तो यह अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में बुद्धिमानी भरा कदम होगा। बैंक की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और रिवर्स रेपो दरों को स्थिर बनाए रखा जाना चाहिए।