राज्य में संचालित राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम को और सुदृढ़ किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि इसके तहत पंचायत स्तर पर साप्ताहिक निक्षय दिवस के तहत सघन टीबी (यक्ष्मा) खोज चलाया जाएगा। हर माह कम-से-कम एक बार आंगनबाड़ी सेविका/सहिया व टीबी चैंपियन के द्वारा प्रत्येक घर से टीबी के लक्षण वाले मरीजों की तलाश कर टीबी की जांच कराई जाएगी।
कोविड जांच के लिए आने वाले लक्षण वाले मरीजों के बलगम फैलकन ट्यूब में संग्रहित किए जाएंगे। कोविड जांच में उनकी रिपोर्ट यदि निगेटिव आती है तो उसकी टीबी जांच कराई जाएगी। इसके साथ ही टीबी केयर की विशेष व्यवस्था के तहत टीबी मरीजों की सेहत व पोषण का आकलन के आधार पर जिला स्तर पर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर उपचार की सुविधा दी जाएगी।
इसके लिए सभी जिलों में कम से कम 10 बेड की व्यवस्था टीबी मरीजों के लिए की जाएगी। यह सभी व्यवस्था दिसंबर 21 तक की जाएगी। अपर मुख्य सचिव ने राज्य के सभी उपायुक्त एवं सिविल सर्जन को इस बाबत निर्देश जारी किया है। अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीईपी) भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है।
इसके तहत 2025 तक टीबी के मामलों में 80 प्रतिशत एवं टीबी से होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत की कमी लानी है। साथ ही टीबी की जांच एवं टीबी के इलाज में मरीजों के खर्च को शून्य करना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने कार्यवार समय सीमा तय करते हुए उपायुक्तों को गैप एनालिसिस कर सशक्त कदम उठाने का निर्देश दिया है।
स्वीकृत पदों पर जनवरी तक नियुक्ति
अपर मुख्य सचिव ने जिला स्तर पर एनटीईपी के तहत स्वीकृत सभी पदों पर जनवरी 21 तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। वहीं 2025 तक टीबी मुक्त जिला एवं टीबी मुक्त ब्लॉक के लिए जिला एवं ब्लॉक में 31 दिसंबर तक टास्क फोर्स का गठन कर कार्ययोजना तैयार करने एवं हर हाल में दोनों टास्क फोर्स की एक बैठक करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि दिसंबर अंत के सभी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी क्षेत्र भ्रमण कर ब्लॉक एवं टीबी यूनिट का मासिक अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण करेंगे एवं राज्य स्तरीय मासिक समीक्षा का कार्य संपादन प्रतिवेदन (एटीआर) प्रस्तुत करेंगे।