भारत में स्कूलों में अक्सर बच्चों को पनिशमेंट दी जाती है. जब बच्चे पढ़ाई नहीं करते या ज्यादा शैतानी करते हैं या टीचर की बात नहीं मानते हैं, तो उन्हें क्लास से बाहर कान पकड़ कर खड़े होने या उठक-बैठक लगाने की सजा दी जाती है. इसके पीछे छिपा है एक वैज्ञानिक कारण.
नई दिल्ली: हमारी जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा होता है स्कूल लाइफ. जहां हम अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती करते हैं और अपने सुनहरे भविष्य की नींव रखते हैं. कैंटीन में दोस्तों के साथ बैठकर मस्ती करने के अलावा एक और चीज है जो हमें सबसे ज्यादा याद रहती है और वो है स्कूल की पनिशमेंट.
उठक-बैठक लगाने के पीछे छिपा एक वैज्ञानिक कारण
आपको भी कभी न कभी अपने स्कूल में इस तरह की पनिशमेंट मिली ही होगी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि स्कूल में कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाने की ही सजा क्यों मिलती है, क्या इसके पीछे कोई कारण है? जी हां, कोई भी चीज बेवजह नहीं होती और कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाने के पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है.
क्या है वजह
माना जाता है कि उठक-बैठक करने से बच्चों की याद्दाश्त तेज होती है और मस्तिष्क के कई हिस्से सक्रिय हो जाते हैं. इससे एलर्ट रहने, याद्दाश्त और बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार आता है. यही वजह है कि बच्चों को स्कूल में पनिशमेंट के तौर पर कान-पकड़ कर उठक-बैठक लगाने के लिए कहा जाता है. इससे बच्चों की याद्दाश्त तेज होती है जो उन्हें सीधे तौर पर पढ़ाई में फायदा पहुंचाती है.
कैसे पहुंचता है फायदा
इस संदर्भ में पिछले कुछ दशकों में कई रिसर्च की गई हैं. रिसर्च के दौरान पता चला है कि एक मिनट तक कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाने से ही दिमाग के अंदर अल्फा तरंगें (alpha waves) सक्रिय हो जाती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस प्रक्रिया में कानों के लोब पर दबाव पड़ता है, जो एक्यूप्रेशर के अनुसार मस्तिष्क के बाएं और दाएं हिस्से को सक्रिय करता है और संबंधित पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland) को एक्टिवेट करता है. इस तरह दिमाग में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बढ़ जाती है.
कब तक रहते हैं फायदे
इसे आप एक्सरसाइज भी मान सकते हैं लेकिन यह जरूर जान लें कि अगर इसे रोज न किया जाए तो इससे मिलने वाले फायदे अस्थायी होते हैं. बच्चों के दिमाग को तेज करने और मस्तिष्क की कोशिकाओं को ताकत देने के लिए आप उन्हें सुपर ब्रेन योगा भी करवा सकते हैं.